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आपदा के जख्मों पर मरहम: मंडी में केंद्रीय दल ने लिया नुकसान का जायज़ा, 708 करोड़ से अधिक की क्षति का अनुमान

 मंडी जिले में भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन से हुई व्यापक तबाही के बाद नुकसान का जायज़ा लेने पहुंचे अंतर मंत्रालयीय केंद्रीय दल ने शनिवा...


 मंडी जिले में भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन से हुई व्यापक तबाही के बाद नुकसान का जायज़ा लेने पहुंचे अंतर मंत्रालयीय केंद्रीय दल ने शनिवार देर शाम डीआरडीए सभागार में जिला प्रशासन और विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में अब तक की गई राहत और पुनर्वास गतिविधियों की समीक्षा की गई। प्रारंभिक आकलन के अनुसार जिले को 708 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान पहुंचा है।


प्रभावितों के साथ केंद्र की पूरी संवेदनाएं”— कंदर्प पटेल


केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग में उप सचिव (वित्त आयोग डिविजन) कंदर्प वी. पटेल ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि मंडी में आई प्राकृतिक आपदा अत्यंत दुखद है और केंद्र सरकार पीड़ितों के साथ खड़ी है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय टीम ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का बारीकी से जायज़ा लिया है।

उन्होंने कहा, “राज्य सरकार से प्राप्त ज्ञापनों के आधार पर अंतिम रिपोर्ट तैयार कर राष्ट्रीय कार्यकारी समिति और फिर उच्च स्तरीय समिति को भेजी जाएगी।” उन्होंने अधिकारियों से निर्धारित मानदंडों के अनुसार सटीक और तथ्यात्मक विवरण प्रस्तुत करने का आग्रह किया।


पुनर्वास व पुनर्निर्माण पर केंद्रित है प्रशासन— डी.सी. राणा


प्रदेश सरकार में विशेष सचिव (राजस्व एवं आपदा प्रबंधन) डी.सी. राणा ने कहा कि मंडी जिला प्रशासन ने उपायुक्त के नेतृत्व में बेहतरीन राहत कार्य किए हैं। अब सरकार पुनर्निर्माण व पुनर्वास की दिशा में फोकस कर रही है। उन्होंने कहा कि भवनों का पुनर्निर्माण सुरक्षित स्थानों पर किया जाए और लोगों को भी नालों व खड्डों से दूर निर्माण के लिए प्रेरित किया जाए। उन्होंने ढलान स्थिरिकरण और बाढ़ नियंत्रण को प्राथमिकता देने पर बल दिया।


थुनाग को सबसे अधिक नुकसान, अकेले 394 करोड़ की क्षति


उपायुक्त अपूर्व देवगन ने केंद्रीय दल का स्वागत करते हुए एक विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने बताया कि अकेले थुनाग उपमंडल को लगभग 394 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इसके अलावा करसोग में 55 करोड़ और धर्मपुर में 47 करोड़ की क्षति दर्ज की गई है।

लोक निर्माण विभाग को सर्वाधिक 302 करोड़, जल शक्ति विभाग को 190 करोड़, बिजली बोर्ड को 34 करोड़ का नुकसान हुआ है। बागवानी, कृषि, शिक्षा, नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग को भी व्यापक नुकसान हुआ है।


349 घर पूरी तरह तबाह, पटीकरी पावर हाउस को 85 करोड़ का नुकसान


आपदा में 349 मकान पूरी तरह और 546 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। 241 दुकानें, 755 गौशालाएं नष्ट हुईं और 1155 पशुधन हानि की पुष्टि हुई है। पंडोह के पास स्थित पटीकरी पावर हाउस को भारी बाढ़ के चलते लगभग 85 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

अभी तक 57 लाख रुपये की राहत राशि वितरित की गई है। लगभग 700 प्रभावितों को राहत शिविरों में शरण दी गई, जिनमें से वर्तमान में 393 लोग 15 राहत शिविरों में रह रहे हैं।


राहत में जुटे एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना के जवान


राहत और बहाली कार्यों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना, आईटीबीपी और गृह रक्षकों का सहयोग लिया गया। लोक निर्माण, जल शक्ति और विद्युत बोर्ड के करीब 2500 कर्मचारी बहाली में दिन-रात जुटे हैं। स्वास्थ्य विभाग की 25 टीमें प्रभावित क्षेत्रों में घर-घर जाकर चिकित्सा सेवाएं दे रही हैं।


केंद्रीय दल में शामिल रहे वरिष्ठ अधिकारी


केंद्रीय दल में गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव जी. पार्थसारथी, जल शक्ति मंत्रालय से वसीम अशरफ, ऊर्जा मंत्रालय से करन सरीन, सड़क परिवहन मंत्रालय से ए.के. कुशवाहा, ग्रामीण विकास मंत्रालय से दीप शेखर सिंघल और कृषि मंत्रालय से डॉ. विक्रांत सिंह शामिल थे।

बैठक में अतिरिक्त उपायुक्त गुरसिमर सिंह, एडीएम डॉ. मदन कुमार, नगर निगम आयुक्त रोहित राठौर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सचिन हीरेमठ समेत सभी विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।

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