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‘जॉब ट्रेनी’ युवाओं के लिए जाल, नहीं रोजगार की राह: बिंदल

  भाजपा अध्यक्ष का कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला, बोले—58 साल वाली नौकरी का वादा झूठा निकला हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार की 'जॉब ट्रेन...

 भाजपा अध्यक्ष का कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला, बोले—58 साल वाली नौकरी का वादा झूठा निकला




हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार की 'जॉब ट्रेनी' पॉलिसी को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने इसे बेरोजगार युवाओं को छलने का "नया जाल" बताया है। उन्होंने सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा कि यह नीति केवल एक साल का “राजनीतिक जीवनदान” है जिससे असली रोजगार का मुद्दा दब जाए।


डॉ. बिंदल ने दावा किया कि कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद न तो रोजगार सृजन के वादे पूरे किए और न ही कोई ठोस नीति बनाई। उन्होंने कहा कि “यह सरकार युवाओं को सिर्फ ठगने और शोषित करने में विश्वास रखती है। जितने भी फैसले लिए जा रहे हैं, वे जनविरोधी हैं।”


प्रियंका गांधी के वादे पर उठाए सवाल


डॉ. बिंदल ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के उस चुनावी वीडियो का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने 58 साल तक की पक्की नौकरी देने का वादा किया था।


 “चुनाव से पहले प्रियंका गांधी, राजीव शुक्ला, भूपेश बघेल, सुखविंदर सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री सहित तमाम नेताओं ने हर गली-मोहल्ले में जाकर 1 लाख स्थायी नौकरियां देने की बात की थी,” – डॉ. बिंदल




उन्होंने कहा कि यह वादा पूरी तरह खोखला साबित हुआ है। न तो 37000 पदों का सृजन हुआ और न ही 63000 खाली पदों को भरा गया।


कांग्रेस राज में नौकरियां केवल चहेतों के लिए”


भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार में नौकरियों का लाभ केवल “मित्रों और चहेतों” तक सीमित है।

“वन मित्र, पशु मित्र, सीएम मित्र जैसे नामों से हिमाचल में चहेतों को नौकरी दी जा रही है। आम युवा लाइब्रेरी में तैयारी कर रहा है और परीक्षाएं या तो रद्द हो जाती हैं या फिर परिणाम अटक जाते हैं।”


बिंदल ने यह भी कहा कि कांग्रेस सरकार ने पूर्ववर्ती भर्तियों के कई संस्थान ही बंद कर दिए और एक अधिसूचना के जरिए करीब 1.5 लाख पदों को खत्म कर दिया।


 “ना नई पॉलिसी बनी, ना नौकरी देने का कोई सिस्टम चालू हुआ।”


जॉब ट्रेनी’ पॉलिसी पर गहरे सवाल


डॉ. बिंदल ने जॉब ट्रेनी पॉलिसी की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस नीति के तहत युवाओं को पहले एक परीक्षा देनी होगी, फिर दो साल की ट्रेनिंग के बाद दोबारा परीक्षा होगी।


 “इन पदों पर नियुक्त लोगों को न तो हिम केयर और न ही आयुष्मान भारत जैसी सुविधाएं मिलेंगी। यहां तक कि मेडिकल बिल भी पास नहीं होंगे। और सबसे बड़ा सवाल यह है कि इनकी नियुक्ति करेगा कौन? सरकार अब तक यह भी स्पष्ट नहीं कर पाई।”




उन्होंने कहा कि सरकार इस पॉलिसी को सफल बनाने के लिए कोई फार्मूला नहीं रखती। यह केवल युवाओं के साथ एक मजाक है।

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