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हिमाचल भवन एवं सड़क निर्माण मजदूर यूनियन खण्ड इकाई निरमण्ड ने किया नई कार्यकरिणी का गठन, मजदूरों की मांगों को लेकर गांव व पंचायत स्तर पर चलाया जाएगा अभियान।

हिमाचल भवन एवं सड़क निर्माण मजदूर यूनियन, ब्लॉक यूनिट निरमण्ड (संबंधित सीटू), का चौथा सम्मलेन निरमण्ड में किसान मजदूर भवन चाट्टी...

हिमाचल भवन एवं सड़क निर्माण मजदूर यूनियन, ब्लॉक यूनिट निरमण्ड (संबंधित सीटू), का चौथा सम्मलेन निरमण्ड में किसान मजदूर भवन चाट्टी में हुआ। जिसमे जिला भर से लगभग 120 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए सीटू शिमला ज़िला अध्यक्ष कुलदीप डोगरा और हिमाचल भवन एवं सड़क निर्माण मजदूर यूनियन ज़िला सचिव रणजीत ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार मजदूर, कर्मचारी, किसान, महिला, नौजवान, छात्र, दलित विरोधी नीतियां लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार पूंजीपतियों के हित में कार्य कर रही है व मजदूर विरोधी निर्णय ले रही है। पिछले 100 सालों में बने 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिताएं अथवा लेबर कोड बनाना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। 
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हाल ही में काँग्रेस की नई सरकार बनी है। पिछली सरकार की जनविरोधी नीतियों  के चलते जनता ने सरकार को बदलने का काम किया हैं। मनरेगा मज़दूरों को  पिछली यूपीए सरकार ने वर्ष 2013 में निर्माण मज़दूर घोषित किया था और उन्हें तब से लेकर अब तक राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड का सदस्य बनने और लाभ लेने का अधिकार था। जिसे अब बन्द करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने राज्य सरकारों को पत्र लिखा है।  बोर्ड से मज़दूरों को मिलने वाली सहायता सामग्री जैसे वाशिंग मशीन, इंडक्शन हीटर, सोलर लैम्प व अन्य सामग्री बंद कर दी है।
सम्मेलन में 31 सदस्यों सहित नई कार्यकारिणी चुनी गई, जिसमें अमित अध्यक्ष, कश्मीरी महासचिव, परमिंदर को कोषाध्यक्ष, सुमित्रा उपाध्यक्ष,   भोगा राम उपाध्यक्ष, देवी चंद उपाध्यक्ष, सन्नी राणा उपाध्यक्ष, अवस्थि सचिव, टीपू सचिव, किरथ राम सचिव, शिक्षा सचिव, चुड़ा राम,  कृष्णा, मीरा, भाग चंद, चरण, ओम प्रकाश, मोती राम, अर्जुन, कृष्ण देव, टिकम, जगदीश, पिंकी, निरथ राम, अर्जुन और भीष्म पाल को सदस्य चुना गया।
यूनियन मांग ने मांग की है कि मनरेगा में 120 दिनों का काम और प्रदेश सरकार की निर्धारित 350 रु मज़दूरी अदा की जाए।  इस वित्त वर्ष में अभी एक तिहाई दिनों का ही काम मजदूरो को मिल पाया है। इसके अलावा मनरेगा मज़दूरों को औजार उपलब्ध करवाए जाए। मनरेगा क़ानून को सही तरीके से लागू करने के लिए ग्रामीण रोजगार सेवक, तकनीकी सहायक और सचिव इत्यादि कर्मचारी प्रत्येक पँचायत में नियुक्त किए जाए। वर्तमान में बीस मज़दूरों से कम संख्या का मस्ट्रोल जारी करने का निर्देश रद्द किया जाए और सीमेंट समय पर उपलब्ध करवाया जाए तथा मज़दूरों को काम करने के लिए औजार भी मुहैया करवाए जाए। इन सभी मांगो को लेकर यूनियन 15 जनवरी से 28 फरवरी तक हस्ताक्षर अभियान चलाएगी और पचास हजार हस्ताक्षर वाला माँग पत्र मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा।

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