कविता: आज भी जंग से नहीं डरता
शीर्षक: आज भी जंग से नहीं डरता मैं ना जंग से डरता हूँ ना दहशत से डरता हूँ कल भी काश्मीर पे मरता था,आज भी मरता हूँ । कपिल की कप्तान...
शीर्षक: आज भी जंग से नहीं डरता मैं ना जंग से डरता हूँ ना दहशत से डरता हूँ कल भी काश्मीर पे मरता था,आज भी मरता हूँ । कपिल की कप्तान...
(मुम्बई से रुक्मिणी की कलम से) मुंबई के संतोष नगर में रहने वाली रुक्मिणी अपने दिलेर पापा की इकलौती बेटी है।पापा पारो शैवलिनी पश्चिम...
डॉक्टर सर से मेरी मुलाकात जमालपुर लौहनगरी में हुई थी। रेलवे के ईस्ट कॉलोनी में स्थित एक ऐतिहासिक हाल जिसे पूर्व में थियेटर के रूप में जा...
सूर्य की उत्तरायण गति मकर संक्रांति के दिन से शुरू होती है। उत्तरायण का अर्थ है सूर्य की दक्षिण से उत्तर की ओर यात्रा। 14 जनवरी को मकर संक...
प्राणीमात्र को जीवित रहने के लिए रोटी कपड़ा और मकान के साथ-साथ प्रेम भी चाहिए किंतु स्त्री को तो मात्र प्रेम ही चाहिए स्त्रियां प्रेम ...
गर्मी ने बेचैन कर दिया, जाएं तो जाएं कहां? हाय! यह तपती धूप, ठंडक पाएं तो पाएं कहां? दिन प्रतिदिन तापमान बढ़ रहा, आसमान से नहीं बरस रही प...