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एकाग्रता और मेहनत से हासिल की जा सकती है मंजिल -डॉ. प्रेम सिंह पदम।

गब्बर सिंह वैदिक। ब्यूरो ब्रो, जगातखाना 18 जुलाई। हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड द्वारा 10वीं व 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम घोषित ...

गब्बर सिंह वैदिक।
ब्यूरो ब्रो, जगातखाना
18 जुलाई।
हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड द्वारा 10वीं व 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए गए है । परीक्षा परिणाम बड़े उत्साहजनक रहे हैं। कुछ विद्यार्थियों ने तो शत-प्रतिशत अंक भी लाए हैं। यह परिणाम एक विषय सूत्र द्वारा तैयार किए गए क्योंकि बच्चे अपने वार्षिक परीक्षा कोरोना के अतिसंक्रमण के कारण न दे सके। एक ही विषय का पेपर दसवीं हिंदी व 12वीं अंग्रेजी का हुआ था। परिणाम उन्नयन हेतु जो सूत्र केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा बनाया गया था वह वास्तव में व्यवहारिक एवं प्रशंसनीय था। इसमें दसवीं कक्षा के लिए 9वीं का वार्षिक परीक्षा परिणाम, 12वीं के लिए दसवीं, ग्यारहवीं का वार्षिक परीक्षा परिणाम, त्रेमासिक, नौमासिक, प्री बोर्ड परीक्षा एवं दिए गए विषय के पेपर के आधार पर परिणाम तैयार किया गया। जिन बच्चों की निरंतर अच्छी उपलब्धि थी वे अच्छे अंक लाने में सफल हो गए । इन परिणामों के विश्लेषण से जो तथ्य सामने आए हैं वे है -
 किसी भी परीक्षा को हल्के में न लें। हर परीक्षा का अपना महत्व है इसे पूरी गंभीरता से लें। सतत प्रयास व मेहनत हमेशा अच्छे परिणाम देते हैं। सफलता का कोई लघु मार्ग (शॉर्टकट )नहीं होता। अपने अध्यापकों की कही बातों का निरंतर अनुसरण करते रहे। अति आत्मविश्वास से बचे।जो हुआ कतिपय मजबूरी थी।इस बीमारी ने जीवन व उसके जीने के मायने ही बदल डाले। समय एवं परिस्थितियों को जाने समझे व उत्साहपूर्वक उनका मुकाबला करें, घबराए नहीं।  विद्यार्थी ध्यान रखें कि इस परिणाम से अधिक या अति उत्साहित न हो। परीक्षा करना न छोड़े एवं लापरवाही का त्याग कर, कर्मठता का मार्ग अपनाएं।विद्यार्थी जीवन की मर्यादा का पालन करें।विद्यार्थी जीवन तप, त्याग, संयम, आत्मानुशासन कर्तव्यनिष्ठा एवं कठिन परिश्रम का जीवन है। यह भावी सुखद या दु:खद जीवन की नींव है। यह कठोर साधना का जीवन है। आज की मेहनत का मीठा फल कल खाने को मिलेगा। यदि इस विशेष जीवन को ऐशोआराम, घूमने-फिरने और नशे जैसी प्रवृत्तियों को अपनाएंगे तो भविष्य निश्चित रूप से अंधकारमय होगा।अच्छी आदतों का निर्माण करें। माता पिता का भी बड़ा दायित्व है कि वे अपने बच्चों को सुसंस्कार दे। आपके बच्चे आप का ही प्रतिबिंब होते हैं।बच्चों को चलाकी नहीं अपितु ईमानदारी से उदारता सिखाएं। सच्चाई सिखाएं, झूठ नहीं। उनसे अच्छे- बुरे अनुभव सांझा करें। अंत में बस यही कहना चाहूंगा कि स्वामी विवेकानंद का यह कथन याद ही न रखें अपने जीवन में अपनाएं भी -'उठिए, जागिए और अपने लक्ष्य की प्राप्ति कीजिए'।
हां ध्यान होना चाहिए, अर्जुन सा ध्यान होना चाहिए।
हां ध्येय होना चाहिए एकलव्य सा ध्येय होना चाहिए।
 हां निष्ठा होनी चाहिए, तुलसीदास सी अखंड निष्ठा होनी चाहिए।
 हां संकल्प होना चाहिए, दशरथ मांझी सा संकल्प होना चाहिए।
                                 डॉ. प्रेम सिंह पदम
                                 प्रवक्ता हिंदी
                                 रा. व. मा. पा.दत्तनगर।

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