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सर्वेक्षण के पंद्रह वर्षों बाद भी शमशर से शा वाया पनेई सड़क निर्माण न होने से ग्यारह गाँवों के ग्रामीणों में भारी रोष।

अंजना जूली। अखण्ड भारत दर्पण,ब्यूरो आनी। 5 सितम्बर।  आनी कस्बे से सटे ग्यारह गाँवों के बाशिंदे सड़क सुविधा से आज भी महरूम हैं और शमशर से पने...



अंजना जूली।
अखण्ड भारत दर्पण,ब्यूरो आनी।
5 सितम्बर।
 आनी कस्बे से सटे ग्यारह गाँवों के बाशिंदे सड़क सुविधा से आज भी महरूम हैं और शमशर से पनेई सड़क के न बनने के कारण  पंद्रह वर्षों से लगातार ठगे जा रहे हैं। चुनावों में नेता आते हैं, कसमें खाते हैं कि सड़क बन जाएगी और चुनावों के बाद भूल जाते हैं। प्रशासन भी वर्षों से टालमटोल का रवैया अपनाए हुए है। इस  सड़क बनने से शमशर, तनोटा, जुनू, पनै, जमदा, भिखीकुटल, टिपरी धार, बश्लेडा, शुहच, प्लेणी, शाह आदि ग्यारह गांव  लाभान्वित होंगे। यह सड़क लगभग तीन हजार लोगों की जीवनरेखा साबित होगी। ग्रामीणों में से बहुत लोगों ने सड़क का सपना देखा, कई इस अधूरे सपने के साथ चल बसे, कई बूढ़े अब भी इंतज़ार में हैं कि शायद उनके भाग्य में सड़क देखना लिखा हो और कई नौजवान यह सपना पाले हुए जी रहे हैं कि अपने घर के बुजुर्गों को गाड़ी में घुमा पाएंगे। यह दुःख और भी गहरा जाता है जब हर दिन कहीं न कहीं सड़कों का शिलान्यास होता है या लोकार्पण होता है। लोग अपने आपको ठगा हुआ महसूस करते हैं और शर्मिंदा होते हैं।
लगभग पंद्रह सालों से दो बार सर्वे हो चुका है। लोगों ने अपने लगे लगाए बगीचे उखाड़ दिए। हज़ारों पेड़ बलि चढ़ गए मगर हताशा ही अंत में हाथ लगी। यहाँ तक कि गांव वालों ने ज़मीन खरीद कर भी सरकार को दी ताकि सड़क से उनके खेत जुड़ सकें और उनकी खेती का उन्हें भी लाभ मिल सके। यह घाटी सेब बेल्ट है। सेब को पीठ पर ढोकर ग्रामीण ले जाते हैं। मजदूर बहुत  मंहगे मिलते हैं। बागवानों को बहुत नुकसान होता है।
ग्रामीणों के बीमार होने पर एंबुलेंस नहीं पहुंचती है तो बहुतों की मृत्यु तक हो जाती है। नेता कसमें खाते हैं मगर जीतने के बाद आमजन अपने को ठगा हुआ महसूस करते हैं। विभागों की लापरवाही और भेदभाव से यह काम रुका हुआ है। इलाके की आबादी में आधे लोग समान्य वर्ग और आधे अनुसूचित जाति से सम्बन्धित हैं। मीडिया के माध्यम से लोगों ने 
मुख्यमंत्री महोदय से अपील की है कि जल्द इस सड़क मार्ग के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश लोक निर्माण विभाग को दिए जाएं अन्यथा समस्त प्रभावित ग्रामीण आगामी चुनावों का बहिष्कार करेंगे और अब और झूठ सहन नहीं करेंगे। जनता यह भी तय करेगी कि यदि प्रदेश सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठाती तो उस स्थिति में आगे का रास्ता तय करना होगा और यह रास्ता दिल्ली जाता है।
लोगों को पूरी आशा है कि सरकार उनकी फरियाद सुनेगी।क्षेत्र के बुजुर्ग जब अपने अपने इलाकों में सड़क देखेंगे तो मुख्यमंत्री महोदय व स्थानीय विधायक महोदय को दुआओं में याद करेंगे और हृदय से आपको आशीर्वाद देंगे। लोगों का सरकार और प्रशासन अनुरोध है कि उनकी समस्या का तुरन्त प्रभाव से निपटारा किया जाए। 

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