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प्रदेश में हजारों प्रशिक्षित शारीरिक शिक्षा अध्यापकों का भविष्य फंसा मंझधार में।

अखण्ड भारत दर्पण। (राष्ट्रीय समाचार पोर्टल)  प्रांत ब्यूरो हिमाचल।  10 अक्तूबर। हिमाचल प्रदेश में सी. पी. एड. धारक हजारों प्रशिक्षित शारीरिक...

अखण्ड भारत दर्पण।
(राष्ट्रीय समाचार पोर्टल)
 प्रांत ब्यूरो हिमाचल।
 10 अक्तूबर।

हिमाचल प्रदेश में सी. पी. एड. धारक हजारों प्रशिक्षित शारीरिक शिक्षा अध्यापकों का भविष्य फंसा मंझधार में।
सरकारें उन्हें झूठा आश्वासन देती गई। एक सरकार उन्हें प्रशिक्षण देती और दूसरी सरकार बाहर का रास्ता दिखाती। 10,15 सालो से बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं शारीरिक शिक्षक संघ। जब कि 2004 में एस.सी.वी.टी. के तहत  ड्राइंग मास्टर, फार्मासिस्ट और शारीरिक शिक्षक और भी अन्य वेकेशनल कोर्स  कराए गए थे। जिस मे शारीरिक शिक्षक को छोड़कर सभी प्रशिक्षु को नौकरियां बैच वाइज व  कमीशन दी जा रही है।जिस ड्राइंग मास्टर और फार्मासिस्ट का बैच वाइज नंबर के 2007,2008 नंबर आ चुका है।सी पी एड धारकों को 2011 के बाद बैच वाइज और कमिशन से  बाहर का रास्ता दिखा दिया।आज पूरे प्रदेश के उक्त शारीरिक शिक्षक अपने घर कठिनाई से चलाने को मजबूर हो चुके हैं और सरकार उन्हें आश्वासन देती जा रही है। यदि नौकरी नहीं थी, तो क्यों दिया प्रशिक्षण?
जब कि उस बुरे दौर में कराया उन्हें प्रशिक्षण। सरकार ने अपने मुनाफे के लिए हजारों  शारीरिक शिक्षकों को रोजगार के बजाय  बेरोजगार बना गई।
जबकि शारीरिक शिक्षा को एक महत्वपूर्ण अंग माना गया है, और जिससे मनुष्य का शारीरिक बौद्धिक मानसिक व सर्वांगीण विकास होता है। शारीरिक शिक्षा- शिक्षक के बिना असंभव है। जिसमें केंद्र सरकार भी इस विषय पर काफी ध्यान दे रही है। उक्त संगठन का मानना है कि शारीरिक शिक्षा से किसी भी बच्चों को वंचित ना रखें, संगठन तो चाहते हैं कि शारीरिक शिक्षा प्राइमरी स्तर से क्यों ना बच्चों को दी जाए जिससे उनका समय के अनुसार समाजिक,बौद्धिक, मानसिक एवम शारीरिक विकास हो। जबकि प्रदेश सरकार इस पर कोई ध्यान नहीं दे रही है।

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