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जिला के विद्यार्थियो के लिए वरदान सिद्ध हो रहे ज्ञान केंद्र - आशुतोष गर्ग

कुल्लू जिला की ग्राम पंचायतों में ‘ज्ञान केन्द्रों’ की अवधारणा की पहल के पीछे अनेक कारक सहायक बने हैं। कोविड-19 के दौर में समाज ...

कुल्लू जिला की ग्राम पंचायतों में ‘ज्ञान केन्द्रों’ की अवधारणा की पहल के पीछे अनेक कारक सहायक बने हैं। कोविड-19 के दौर में समाज में तमाम व्यवस्थाएं प्रभावित हुई हैं। शिक्षा से लेकर कार्यालय कार्यों के निष्पादन तक अधिकांश गतिविधियों को ऑन-लाइन बनाने के कारण विद्यार्थियों को अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। गांव के कुछ लोग अपने बच्चों के लिये अच्छे मोबाइल फोन खरीदने में असमर्थ थे और यदि जैसे-तैसे मोबाइल की व्यवस्था हो भी गई तो इंटरनेट का अच्छा पैकेज बच्चों को उपलब्ध नहीं करवा पाए। यही परिस्थितियां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं को भी झेलनी पड़ी। शहर में पुस्तकालय बंद पड़े थे या फिर गांव के सभी युवक अध्ययन के लिये शहरों में नहीं जा पाते।
जिलाधीश आशुतोष गर्ग के ज़हन में काफी अरसे से ऐसा विचार चल रहा था कि किस प्रकार युवाओं को उनके घर-द्वार के समीप चौबीस घण्टे बारहमासी इंटरनेट सुविधा से लैस ऐसे पुस्तकालय की स्थापना की जाए जहां पर प्रतियोगी परीक्षाओं सहित सभी आयुवर्ग के लोगों की रूचि की पुस्तकें उपलब्ध हों। शिक्षार्थियों को अध्ययन के लिये एक ऐसा वातावरण तैयार हो जहां वे वाई-फाई के माध्यम से ऑनलाइन कक्षाओं से सुगमतापूर्वक जुड़ सके। गरीब छात्रों के लिये सुगम व निःशुल्क पाठन सामग्री की उपलब्धता हो। इसके अतिरिक्त, युवाओं को नशे जैसी सामाजिक बुराईयों से दूर रखने तथा उनमें पढ़ने की आदत को विकसित करना भी उनकी सोच रही है। अंततः व्यापक अध्ययन और सर्वेक्षण के उपरांत उन्होंने जिला में पंचायत स्तर पर पुस्तकालय की स्थापना की पहल करके कुल्लू को प्रदेश का पहला जिला बनने का गौरव प्रदान किया।उनकी यह अद्वितीय पहल ज़िले के दूरस्थ लोगों के लिए एक सुनहरे भविष्य के निर्माण के लिए कारगर साबित हो रही है।
 एक वर्ष पूर्व ज्ञान केन्द्र के शुभारंभ के साथ शुरुआत में विकास खण्ड नग्गर की 11 पंचायतों में ज्ञान केन्द्रों में ग्राम पंचायत पांगन, बरूआ, नसोगी, विशिष्ट तथा करालस, कुल्लू विकास खण्ड की पंचायत बनोगी, जिंदौड़ तथा जलूग्रां तथा बंजार विकास खण्ड की सुचैण व दुशाहड़ ग्राम पंचायतें शामिल थी जहां पर एक साथ ज्ञान केन्द्र स्थापित करवाए गए थे। इन केंद्रों की सफ़लता को देखते हुए इन्हें ज़िले के अन्य पंचायतों में भी बढ़ाया गया।
उपायुक्त आशुतोष गर्ग का कहना है कि पंचायत स्तर पर पुस्तकालय स्थापित करने की यह मुहिम पिछले
एक वर्ष से चल रही है जिसमें निरमण्ड का ब्रो, बजौरा की हाट, तथा गाहर के ज्ञान केंद्र इस मुहिम की सफलता का उदाहरण हैं। एक वर्ष की अवधि में जिला में अभी तक कुल 35 ज्ञान केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी है। हमारा लक्ष्य है कि पंचायत प्रधानों के सहयोग से चरणबद्ध ढंग से जिला की सभी 235 ग्राम पंचायतों में ज्ञान केन्द्रों की स्थापना की जाए ताकि पढ़ाई के लिए दूरदराज के बच्चों को न तो अधिक दूर का सफ़र करना पड़े और न ही पुस्तकों, शिक्षण सामग्री और इंटरनेट जैसी सुविधाओं का अभाव झेलना पड़े। 

  
उपायुक्त आशुतोष गर्ग ने बताया कि जिला में भूमि की अनुपलब्धता के कारण ज्ञान केन्द्र की स्थापना के लिये किसी नये निर्माण की जरूरत को महत्व नहीं दिया जा सकता। इसके लिये ग्राम पंचायतों में महिला मंडल भवन, युवक मण्डल भवन, ग्राम पंचायत भवन अथवा कोई सार्वजनिक भवन अथवा बंद स्कूल का भवन या फिर स्कूल भवन का अतिरिक्त कमरा जो अनुपयोगी पड़ा हो, इसको इस्तेमाल में लाया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से अपने मकान में अतिरिक्त कमरा उपलब्ध करवा सकता है। इसके लिये किराया न लेने तथा सहूलियत के अनुसार एक निश्चित समयावधि के लिये बिना किराये के आधार पर अनुबंध किया जा सकता है जब तक ग्राम पंचायत कमरे की व्यवस्था नहीं कर देती। ग्राम पंचायत ज्ञान केन्द्र के लिये मौजूदा पंचायत भवन में चक्रवात आश्रय, मनरेगा अथवा 14वें/15 वित्तायेग के अंतर्गत राजीव गांधी सेवा केन्द्र के तौर पर कमरे का निर्माण कर सकती है।

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