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किसान सभा खण्ड इकाई निरमण्ड ने बीड़ीओ कार्यालय के बाहर किया धरना प्रदर्शन।

सीटू व हिमाचल किसान सभा की राज्य कमेटी के आह्वान पर केंद्र की मोदी सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के चलते जिससे देश में  ...

सीटू व हिमाचल किसान सभा की राज्य कमेटी के आह्वान पर केंद्र की मोदी सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के चलते जिससे देश में  बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व जनता की रोजी-रोटी पर लगातार हमले हुए हैं के विरोध में बुधवार को खण्ड विकास अधिकारी निरमण्ड के कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया गया ।
इस प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए किसान सभा निरमण्ड ब्लॉक अध्यक्ष देवकी नंद,किसान सभा शिमला जिला सचिव पूरण ठाकुर,निरमण्ड ब्लॉक निर्माण यूनियन के अध्यक्ष कश्मीरी लाल,सुमित्रा ने कहा कि 2014 के बाद से केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार ने मजदूरों और किसानों के खिलाफ लगातार नवउदारवादी नीतियों का हमला जारी रखा है इन नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के चलते बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। जनता की अपनी अवश्यकताओं की पूर्ति के लिए खर्च करने की क्षमता घट रही है। बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भूखमरी बढ़ रही है। भूख से जूझ रहे देशों की श्रेणी में भारत पिछड़ कर 121 देशों में 107 वें पायदान पर पहुंच गया है। इन आंकड़ों से मोदी सरकार की देश में तथाकथित विकास के ढिंढोरे की पोल खुल गई है।
बजट  2023-24 में खाद्य सब्सीडी में भी 90,000 करोड़ रूपये की कटौती की गई है। एक ओर सरकार 81.35 करोड़ लोगों का मुफ्त राशन देने का ढिंढोरा पीट रही है तो दूसरी ओर खाद्य सुरक्षा कानून (FSA) के तहत मिलने वाले सस्ते राशन को बंद किया जा रहा है। इससे जनता को बाजार से महंगा राशन लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं (आटा, दूध, तेल, दाल व चावल आदि) के दामों में भारी वृद्धि हो रही है। हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा पेश किए , बजट में मंहगाई को कम करने के लिए कोई प्रावधान नहीं रखा गया उल्टा जनता को खाद्य वस्तुओं में मिल रही सबसीडियों को कम किया जा रहा है जिससे मंहगाई में बढ़ौतरी होगी।

   वक्ताओं ने कहा कि मेहनतकश लोगों की बुनियादी मांगों को जैसे कि न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह और सभी श्रमिकों को 10,000 रुपये की पेंशन सुनिश्चित करना; गारंटीकृत खरीद के साथ सभी कृषि उपज के लिए सी2+50 प्रतिशत पर एमएसपी की कानूनी गारंटी; चार श्रम संहिताओं और बिजली संशोधन विधेयक 2020 को खत्म करना, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ मनरेगा के तहत 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 कार्यदिवस प्रदान करना और गरीब और मध्यम किसानों और कृषि श्रमिकों को एकमुश्त ऋण माफी देना,पीएसयू के निजीकरण को रोकने, एनएमपी को खत्म करने, अग्निपथ को खत्म करने, मूल्य वृद्धि को रोकने और पीडीएस को मजबूत करने और सार्वभौमिक बनाने, सभी श्रमिकों के लिए 10,000 रुपये पेंशन और अमीरों पर कर लगाने की मांग को लेकर संघर्ष तीखे करने का आह्वान किया।
     उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा भी मजदूरों को श्रमिक कल्याण बोर्ड से मजदूरों को छात्रवृत्ति, प्रसूति,शादी व अन्य लाभ मिलते थे वो भी सरकार ने बंद कर मनरेगा मजदूरों पर ओर अधिक आर्थिक बोझ डाला है।
इस प्रदर्शन में टीपू,सन्नी राना,नीरथ सिंह,दुर्गा नंद,श्याम लाल,शेर सिंह,दिनेश,बेगू राम,टेक सिंह,फुला देवी,शिला देवी,कौशल्या,उषा देवी,कांता देवी,मीरा,शांता ,शारदा देवी आदि लोगों ने हिस्सा लिया।

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