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आनी क्षेत्र के उभरते लोकगायक टीकम कश्यप पुरातन सांस्कृतिक गीतों के संरक्षण में प्रयासरत।

डी. पी. रावत। ब्यूरो रिपोर्ट आनी। ज़िला कुल्लू के बाह्य सिराज क्षेत्र आनी से संबंधित भूले- बिसरे,लुप्तप्राय: व परम्परागत लोकगीतो...

डी. पी. रावत।
ब्यूरो रिपोर्ट आनी।
ज़िला कुल्लू के बाह्य सिराज क्षेत्र आनी से संबंधित भूले- बिसरे,लुप्तप्राय: व परम्परागत लोकगीतों को उसी पुराने अंदाज़ में संरक्षित करने में प्रयासरत हैं टीकम कश्यप। इन्होंने आनी  क्षेत्र प्रचलित परम्परागत लोकगीतों को अपनी मधुर आवाज़ में गाने का बीड़ा उठा रखा है। इन्होंने  शिवरात्रि पर्व के दौरान गाए जाने वाले लोकगीतों "जत्ती" पर अपनी पहली वीडियो एलबम अपने यूट्यूब चैनल " टीकम कश्यप प्रोडक्शन" पर हाल में ही रिलीज़ की है। इसके अतिरिक्त इन्होंने 30 मार्च को अपनी दूसरी वीडियो एलबम "परम्परागत पहाड़ी नाटीयां 2023" अपने यूट्यूब चैनल पर लॉन्च किया है। इस विडियो एलबम में इन्होंने आनी क्षेत्र के भूले बिसरे गीतों "पारी हांडा गै सड़की सुरजू मेटा री कारा......", " उझीरे नेगिया लच्छी रामा........", कुल्ह ता चूटी बोला नौणा का....." और " हालरअ ...लागा गै राधू अ: ..." को अपनी आवाज़ में पुराने अंदाज़ में पेश किया है।

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