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दास्तां:- माहूनाग चिमनी तहसील आनी, ज़िला कुल्लू।

डी.पी. रावत, ब्यूरो रिपोर्ट आनी। हिमाचल प्रदेश को देव भूमि की संज्ञा यूं ही नहीं दी जाती है। क्योंकि यहां किसी न किसी देवी देवता...

डी.पी. रावत, ब्यूरो रिपोर्ट आनी।
हिमाचल प्रदेश को देव भूमि की संज्ञा यूं ही नहीं दी जाती है। क्योंकि यहां किसी न किसी देवी देवता का छोटा - बड़ा मन्दिर या देव स्थल या देव चिन्ह या देव वन विद्यमान हैं। हर ज़िला ख़ासकर कुल्लू,मण्डी आदि समृद्ध देव संस्कृति की विरासत संजोए हैं।
कुल्लू ज़िले के बाह्य सिराज क्षेत्र में कई देव परम्पराएं प्रचलन में हैं। इस क्षेत्र में महादेव भोले नाथ शिव शंकर,भगवान,विष्णु, नारायण,दुर्गा,काली,महाकाली,जोगनी, नौ नाग,अठारह नाग
 के साथ नाग - नागिन के अनेकों देव स्थान हैं। महाभारत के पांच पाण्डव पांच वीर और दानवीर कर्ण यहां माहू नाग के रूप मण्डी ज़िले के करसोग क्षेत्र के साथ साथ बाह्य सिराज क्षेत्र आनी तहसील के ठोगी गांव और चिमनी गांव में क्षेत्र पाल और ग्राम देवता के रूप में विराजमान हैं।
प्राचीन समय की बात है गांव चिमनी जो कि जिला कुल्लू के आउटर सिराज विकासखंड आनी के मूंडदल पंचायत में स्थित है। उस गांव के मुखिया की संतान ना होने पर मुखिया अत्यंत दुखी रहता था उम्र अधिक होने के चलते मुखिया की चिंता और बढ़ती जा रही थी। इसी चिंता में बैठे मुखिया को एक दिन गांव में एक साधु मिला। मुखिया ने सारा हाल उस साधु को सुनाया जिस पर उस साधु ने मुखिया को बताया कि सुकेत रियासत के करसोग से लगभग 25-30 किलोमीटर की दूरी पर दानवीर कर्ण जो कि महाभारत में माता कुंती के जेष्ठ पुत्र थे उनको वहां बखारी कोठी में मांहूनाग के रूप में माना जाता है। वहां जाने वाले की मनोकामना दानवीर कर्ण (मांहूनाग) जो कि संतान प्राप्ति के लिए विख्यात है आप वहां जाइए और उनके सामने अपनी मनोकामना बताएं दानवीर कर्ण आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करेंगे। साधू की बात सुनकर गांव का मुखिया कोठी बखारी को मांहूनाग जी के मन्दिर गया और दानवीर कर्ण के सामने अपनी व्यथा व्यक्त की। मांहूनाग जी ने अपने माली (गूर) में प्रकट होकर मुखिया से कहा कि आपको संतान सुख अवश्य होगा पर मेरी इच्छा है कि आप अपने गांव में मेरी स्थापना करें और आपके पुत्र होने पर एक पुत्र को मेरी सेवा में समर्पित करना। यह बात सुनकर मांहूनाग जी के आदेशानुसार गांव के मुखिया ने बखारी कोठी से मांहूनाग का चिन्ह एक मोहरा वहां से नंगे पांव गांव चिमनी पहुंचाया और गांव में एक मंदिर का निर्माण कर मांहूनाग जी की विधिवत स्थापना की तत्पश्चात मुखिया के चार पुत्र हुए जिनमें से एक को मांहूनाग की सेवा में रखा। तव से लेकर विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर मांहूनाग जी गांव चिमनी आते हैं और मनचाहा फल प्राप्त करते हैं।
मांहूनाग जी गांव चिमनी के वर्तमान गूर दुर्गी राम का कहना है कि मांहूनाग जी की कृपा से विभिन्न क्षेत्रों के कई श्रद्धालुओं ने संतान सुख की प्राप्ति कर अपनी मनोकामना को पूर्ण किया है यहां जो भी आया है कभी खाली हाथ नहीं लौटा।चिमनी स्थित माहू नाग मन्दिर के लिए शिमला से एन.एच. 5 पर नारकण्डा होते हुए सैंज तक,सैंज से एनएच 305 पर लुहरी होते हुए निगाण तक, निगाण से आनी- शवाड -कुंगश-कराणा संपर्क मार्ग से शवाड से चिमनी गांव तक बस द्वारा पहुंचा जा सकता है। मण्डी और कुल्लू से औट,औट से एनएच 305 पर
   बंजार,जलोड़ी जोत होते हुए आनी से निगाण तक बस सुविधा उपलब्ध है।

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