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स्टाफ की भारी कमी के कारण लढ़ागी स्कूल प्रांगण में अभिभावकों ने की नारेबाज़ी,क्रमिक धरना ज़ारी।

7 जून। डी पी रावत। ब्यूरो रिपोर्ट आनी। एक तरफ सरकार स्कूलों में बेहतर शिक्षा प्रदान करने की बात करती है वहीं दूसरी तरफ स्कूलों म...

7 जून।
डी पी रावत।
ब्यूरो रिपोर्ट आनी।
एक तरफ सरकार स्कूलों में बेहतर शिक्षा प्रदान करने की बात करती है वहीं दूसरी तरफ स्कूलों में रिक्त पड़े शिक्षकों के पदों को भरने को लेकर सरकार और शिक्षा विभाग गम्भीर नहीं है। जिला कुल्लू के आनी उपमण्डल के तहत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय लढागी में पीजीटी(Post Graduate Teachers)के कई पद खाली है । विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष देशराज ने बताया कि 
लंबे समय से स्कूल शिक्षकों की कमी का दंश झेल रहा है। यहां शिक्षकों की कमी होने से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इसे लेकर अभिभावकों में भी खासा रोष है। जिसके चलते स्कूल एसएमसी और अभिभावकों ने बुधवार को सरकार व शिक्षा विभाग के खिलाफ एक धरना प्रदर्शन किया जिसमें पंचायत प्रतिनिधियों समेत इलाके की महिला मण्डलों, युवक मण्डलों, काली नाग कमेटी बुच्छैर, जन संघर्ष मंच बुच्छैर, किसान सभा के जन संगठनों ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया।
एसएमसी अध्यक्ष देशराज ने कहा कि उन्होंने इस बारे में सरकार व सम्बन्धित विभाग को कई बार अवगत करवाया, लेकिन उनके कान पर जूँ तक नहीं रेंगी । ऐसे में मजबूरन अभिभावकों को अब संघर्ष का रास्ता अपनाना पड रहा है। जन संघर्ष मंच के संयोजक पदम प्रभाकर ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक दुर्गम क्षेत्र के सरकारी स्कूल की मूलभूत सुविधाओं की ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं है।स्कूल में खाली पदों के बारे में पहले से विभाग को मालूम है, मगर विभाग भी इसे गंभीरता से न लेकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है। बताते चलें कि स्कूल में वर्ष 2014 में एक पद वरिष्ठ सहायक सृजित होने के बाद आज तक भरा नहीं गया है। जिसके चलते स्कूल का विभागीय कार्य भी मजबूरन शिक्षकों को ही करना पड़ रहा है। जबकि स्कूल में आधारभूत संचरात्मक ढांचा भी मजबूत नहीं है। स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए न तो डैस्क है और न ही स्कूल में चारदिवारी लगी है। साथ ही स्कूल में मिड डे मिल बनाने के किचन की सुविधा है । वहीं विद्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी विषय का अनुदेशक ( instructor) तथा लिपिक के पद भी सृजित नहीं हैं। जबकि स्कूल में लाखों के कंम्पयूटर सालों से धूल फांक रहे हैं। कंम्पयूटर के होते हुए भी बच्चों को कंम्पयूटर शिक्षा से बंछित रहना पड़ रहा है।

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