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गोबिंद सागर झील से मलबा निकालने के लिए कारगर योजना बनाए हिमाचल सरकार।

26 जून  । प्रादेशिक संवाददाता हिमाचल  । हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गोबिंद सागर झील से मलबा निकालने की प्रभावी योजना का खाका अदालत में पेश करन...

26 जून 

प्रादेशिक संवाददाता हिमाचल ।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गोबिंद सागर झील से मलबा निकालने की प्रभावी योजना का खाका अदालत में पेश करने का आदेश दिया है। राज्य सरकार को उच्च न्यायालय से आदेश दिया गया है कि वह शपथपत्र देकर अदालत को बताए कि झील से मलबा निकाला जा सकता है। 20 जुलाई को मामला मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ में सुनाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने झील में किसी भी प्रकार का डंपिंग करने पर तत्काल रोक लगा दी थी। फोरलेन विस्थापित और प्रभावित समिति के महासचिव मदन लाल ने जनहित याचिका की है। याचिका में कहा गया है कि स्थानीय लोगों के कठोर विरोध के बावजूद भाखड़ा बांध जलाशय में सड़क का मलबा फेंका जा रहा है।

 जगह चिन्हित की गई है या नहीं। न्यायालय को बताया गया कि कुपवी कॉलेज भी अपनी खुद अवैध डंपिंग से झील में मछलियों की कमी और पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। झील में अवैध डंपिंग से गाद के स्तर में वृद्धि इसका मुख्य कारण है। बिलासपुर जिले के सबसे बड़े जल निकाय गोबिंद सागर में गाद की वजह से कई मछली प्रजातियों का प्रजनन प्रभावित हुआ है। 51 मछली प्रजातियों (सिल्वर कार्प, सिंहरा, महेसेर) के साथ गोविंद सागर राज्य में मत्स्य पालन का महत्वपूर्ण केंद्र था। अवैध डंपिंग के कारण यहां भी मछलियों का प्रजनन घट गया है। हिमाचल प्रदेश रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के ठेकेदार पर मंडवान और अन्य स्थानों पर मलबे के ट्रक को खाली करने का आरोप लगाया गया है। याचिकाकर्ता ने अदालत से मांग की है कि गोविंद सागर में अवैध डंपिंग पर तुरंत रोक लगाई जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

प्रदेश हाईकोर्ट ने चौपाल के कुपवी डिग्री कॉलेज के भवन निर्माण की जानकारी तलब की है, जो दूरदराज क्षेत्रों में शिक्षकों की तैनाती की अनुपालना रिपोर्ट है। राज्य सरकार को अदालत से शपथपत्र देने का आदेश दिया गया है कि वह अदालत को बताए कि भवन बनाने के लिएकी इमारत नहीं है। पास के सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के स्टोररूम में कक्षाएं शुरू हुईं। स्कूल प्रबंधन इसे भरना चाहता है। 26 जुलाई को मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने निर्धारित की है।अदालत ने दूर दराज के क्षेत्रों में शिक्षकों की नियुक्ति के आदेशों की पालना रिपोर्ट भी मांगी है। अदालत ने शहर के भीड़भाड़ वाले स्कूलों से दूर दराज के क्षेत्रों में शिक्षकों को भेजने का आदेश दिया था। अदालत ने कहा कि शहर के शिक्षकों को, जो अपना सामान्य कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, राज्य के दूर दराज के स्कूलों में तैनाती दी जा सकती है। अदालत ने सरकार की ओर से भेजी गई स्टेटस रिपोर्ट को देखा तो पता चला कि कुपवी डिग्री कॉलेज में आठ शिक्षक पद स्वीकृत किए गए हैं, जो सभी रिक्त हैं। साथ ही गैर शिक्षकों के दस पद भी मंजूर किए गए हैं। इनमें से केवल तीन पद (चपरासी) और दो पद (चौकीदार) भरे गए हैं। अदालत ने दैनिक समाचार पत्र में छपी खबर पर संज्ञान लिया है ।


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