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हिमाचल की स्मृति जसवाल फ्रांस में विद्यार्थियों को पढ़ाएगी इंगलिश।

हिमाचल के जिला मुख्यालय ऊना के साथ लगते गांव मलाहत नगर की बेटी स्मृति जसवाल फ्रांस में विद्यार्थियों को इंगलिश पढ़ाएगी। फ्रांस ए...

हिमाचल के जिला मुख्यालय ऊना के साथ लगते गांव मलाहत नगर की बेटी स्मृति जसवाल फ्रांस में विद्यार्थियों को इंगलिश पढ़ाएगी। फ्रांस एम्बैसी ने स्मृति का चयन इंगलिश ट्यूटर के तौर पर किया है। एम्बैसी ने स्मृति का वीजा लगाने के साथ-साथ उसे स्कूल भी अलॉट कर दिए हैं और वहां रहने की व्यवस्था भी कर दी गई। स्मृति फ्रांस में नार्मेंडी क्षेत्र के अर्जेंटीना शहर में 2 स्कूलों में विद्यार्थियों को पढ़ाएगी। एक स्कूल में 5वीं से 10वीं कक्षा तक के विद्यार्थी हैं जबकि एक अन्य स्कूल में प्लस वन व प्लस टू के विद्यार्थियों को प्रोफैशनल कोर्स भी पढ़ाएगी। स्मृति का चयन 7 माह के लिए किया गया है। स्मृति जसवाल ने 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई दयानंद पब्लिक स्कूल शिमला व 12वीं तक की पढ़ाई डीएवी स्कूल लक्कड़ बाजार शिमला से की।

पिता बोले-बेटी ने गर्व से ऊंचा किया सिर
स्मृति ने बताया कि स्नातक की डिग्री एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा से की, जिसमें उसका विषय बीए था। इसके बाद उसने बीएचयू में एमए फ्रैंच में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की और तीसरा स्थान हासिल किया। स्मृति जसवाल के माता-पिता अपनी बेटी की इस सफलता से गदगद हैं। स्मृति के पिता मिल्क फैडरेशन से सेवानिवृत्त हैं जबकि माता गृहिणी हैं। 

बनारस यूनिवर्सिटी से मास्टर्स डिग्री कर रही है स्मृति 
स्मृति जसवाल बनारस यूनिवर्सिटी से मास्टर्स डिग्री कर रही है। स्मृति जसवाल ने बताया कि फ्रांस में इंगलिश ट्यूटर के तौर पर चयन के लिए एम्बैसी द्वारा आयोजित 2 परीक्षाएं देनी पड़ीं। इसमें असिस्टैंट डी एंग्लाइस प्रोग्राम पहली परीक्षा में उसने 88/100 स्कोर हासिल किया। स्मृति ने बताया कि यह परीक्षा फ्रांस भाषा की दक्षता साबित करने के लिए थी। इसके बाद उसने आईईएलटीएस परीक्षा भी उत्तीर्ण की। इसमें चयन के लिए केवल 7.5 बैंड से ऊपर स्कोर करने चयनित होते हैं और उसका स्कोर 8 था। यह परीक्षा उसने बिना किसी कोचिंग के अपने प्रयास से उत्तीर्ण की।

माता-पिता ने हमेशा किया समर्थन 
स्मृति जसवाल ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता अरुण कंवर व रेणु जसवाल व प्रो. गीतांजलि सिंह को दिया। उन्होंने बताया कि उसके माता-पिता शुरू से ही उसके समर्थक रहे हैं। उनके माता-पिता ने भाषा विषय को आगे बढ़ाने को उसका हमेशा समर्थन किया।

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