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आपदा राहत आकलन में पटवारी करशैईगाड की मनमानी: जोत राम स्थानीयवासी।

16 सितम्बर। डी.पी.रावत। ब्यूरो रिपोर्ट आनी। ➡️पहले शिकायतकर्ता से राहत राशि दिलाने के लिए मांगे दस्तावेज़,बाद में किया इन्कार। ➡️पटवारी ...


16 सितम्बर।

डी.पी.रावत।
ब्यूरो रिपोर्ट आनी।

➡️पहले शिकायतकर्ता से राहत राशि दिलाने के लिए मांगे दस्तावेज़,बाद में किया इन्कार।
➡️पटवारी का तर्क गौशाला मकान से दूरी पर स्थित,हकीकत - गौशाला मकान के एक छोर से बिल्कुल सटी हुई है।

कुल्लू ज़िला के पिछड़े विकास खण्ड आनी की ग्राम पंचायत टकरासी के कदेरना गांव में आपदा राहत राशि दिलाने के लिए पटवारी द्वारा आनकानी करने का मामला प्रकाश में आया है।
गौरतलब है कि शिकायकर्ता जोत राम के घर के रसोईघर  में दरार आई है,घर का डंगा क्षतिग्रस्त हुआ था और घर साथ सटी गौशाला बरसात में पूरी तरह ध्वस्त हुई है।
उक्त व्यक्ति भी आम आपदा प्रभावितों की तरह सरकार द्वारा प्रदत्त राहत की चाहत में स्थानीय ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों और पटवारी करशैईगाड से सम्पर्क साधा। तत्पश्चात स्थानीय ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों और
पटवारी ने मौका देखा। बताया जा रहा है कि पंचायत प्रतिनिधियों ने एक लाख रूपए की राहत राशि उक्त नुकसान की भरपाई के लिए स्वीकृत की है; जबकि पटवारी ने पहले तो शिकायतकर्ता को आनी बुला कर सभी दस्तावेज़ तैयार करने को कहा बाद में मौके पर जा कर गौ शाला के लिए राहत राशि की रिपोर्ट ज़ारी करने के लिए साफ़ इन्कार करते हुए तर्क दिया कि आपकी गौशाला आपके मकान से काफ़ी दूरी पर स्थित है।
शिकायकर्ता का कहना है कि यदि उसे राहत राशि नहीं दिलानी थी तो उससे सम्बन्धित दस्तावेज़ तैयार करने के लिए उसके धन और समय की बरबादी क्यों की गई?
इतना ही नहीं, उससे पटवारी ने पहले ही उसकी जगह के नक्शा पर्चा मांगा। जबकि शिकायकर्ता का कहना है कि अन्य आपदा प्रभावितों से बाद में मांगा... क्यों?
शिकायतकर्ता का कहना है कि पटवारी द्वारा रसोईघर की दीवार में आई दरार के पटवारी द्वारा रिपीट देने से इन्कार करते हुए कहा है कि ये तो सीमेंट के ब्लॉक की दीवार है अत: इसकी रिपीर्ट नहीं बनती है।
पटवारी ने मीडिया कर्मी को  मोबाइल पर जानकारी दी है।
शिकायतकर्ता का कहना है कि पटवारी द्वारा रसोईघर की दीवार में आई दरार के पटवारी द्वारा रिपीट देने से इन्कार करते हुए कहा है कि ये तो सीमेंट के ब्लॉक की दीवार है अत: इसकी रिपीर्ट नहीं बनती है।
पटवारी ने मीडिया कर्मी को  मोबाइल वार्तालाप में जानकारी दी है कि उक्त व्यक्ति ने मुझे कोई और गौशाला दिखाई है, जहां तक गौशाला के लिए राहत राशि देने की बात है पूरी फाटी में एक गौशाला के लिए रिपोर्ट नहीं दी गई है, सरकार द्वारा ज़ारी ताज़ा आपदा राहत राशि आबंटन अधिसूचना में गौशाला के दूरी पर स्थित होने पर राहत प्रदान करने का कोई प्रावधान नहीं है।
मीडिया को निरमण्ड तहसील में तैनात एक भू राजस्व विभाग के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि सभी तरह की गौशाला के राहत राशि के आबंटन के लिए दूरी का का कोई भी पैरामीटर नहीं है।

अब प्रश्न उठता है कि उक्त पटवारी उक्त व्यक्ति को राहत पहुंचाने में आना कानी क्यों कर रही है.....
कहीं वह रिश्वत लेने के चक्कर में तो नहीं है?
या गांव में किसी प्रभावशाली व्यक्ति के दवाब में आकर उसे राहत राशि से महरूम करवाना चाहती है?

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