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कुल्लू जिले में एकीकृत बाल विकास परियोजना शिशुओं, धात्री व गर्भवती महिलाओं को वरदान साबित हो रही।

परियोजना के तहत जहां शिशुओं, गर्भवती व धात्री महिलाओं को पौष्टिक आहार प्रदान किया जा रहा है वहीं समय समय पर स्वास्थ्य जांच भी की जाती है।यदि...

परियोजना के तहत जहां शिशुओं, गर्भवती व धात्री महिलाओं को पौष्टिक आहार प्रदान किया जा रहा है वहीं समय समय पर स्वास्थ्य जांच भी की जाती है।यदि इनमें कोई कुपोषण का शिकार पाए जाते हैं तो इन्हें चिकित्सक की सलाह पर आवश्यक मिनरल,व दवा भी उपलब्ध करवाई जा रही है।


 जिला कार्यक्रम अधिकारी पद्म देव शर्मा का कहना है कि एकीकृत बाल विकास  परियोजना के अंतर्गत पूर्ण पोषाहार , शाला पूर्व शिक्षा, स्वास्थ्य जांच, रेफरल सेवाएं एवं प्रतिरक्षण सेवाएं बच्चों के विकास के लिए प्रदान की जाती हैं इसका उद्देश्य आवश्यक पोषण व कैलोरी की कमी को पूरा करना है.जिला कुल्लू में 20 हज़ार बच्चों को पोषाहार व्  5 हज़ार गर्भवती व् धात्री महिलाओं को पोषाहार का लाभ प्रदान किया जा रहा है। आंगनबाड़ी केंन्द्रो में 6 वर्ष से छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं के लिए पोषाहार के विस्तृत प्रावधान है।   आंगनबाड़ी में भी प्रत्येक 3 से 6 वर्ष के पंजीकृत बच्चों को प्रत्येक दिन (अवकाश के दिनों को छोड़कर) मेनू के अनुसार सुबह का नाश्ता एवं दोपहर को गर्म पका - पकाया भोजन दिया जाता है। अगर किसी कारण से किसी भी दिन (छुट्टी के दिन को छोड़कर) सुबह का नाश्ता एवं गर्म पका - पकाया भोजन नहीं मिलता है तो आंगनबाड़ी केंद्र से पंजीकृत प्रत्येक 3 से 6 साल के बच्चे को खाद्य सुरक्षा भत्ता पाने का अधिकार है। इसके लिए हर वर्ष पोषण माह भी मनाया जाता है।

                                        

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