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अनुसूचित जाति आयोग ने राष्ट्रपति मुर्मू को सौंपी रिपोर्ट, पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग।

बंगाल के संदेशखाली की घटना पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के प्रतिनिधिमण्डल ने  अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप ...

बंगाल के संदेशखाली की घटना पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के प्रतिनिधिमण्डल ने  अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है। अनुसूचित जाति आयोग के प्रतिनिधिमण्डल ने गुरुवार को संदेशखाली का दौरा किया था। शुक्रवार को आयोग ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी। भाजपा का एक प्रतिनिधिमण्डल भी आज संदेशखाली के पीड़ितों से मिलने गया था , लेकिन स्थानीय पुलिस उन्हें नहीं जाने दे रही है। इससे संदेशखाली में हंगामा जारी है।

आयोग ने की राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग

अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष अरुण हलदर ने कहा 'जब हम संदेशखाली पहुंचे तो शाहजहां शेख और उसके गैंग ने वहां डरावना माहौल बना दिया। लोग बोलने से डर रहे थे। लोगों का कहना था कि जब हम चले जाएंगे तो उसके गैंग के लोग उन पर फिर हमला कर देंगे। हम पुलिस स्टेशन भी गए, लेकिन पुलिसकर्मी हमें देखकर वहां से चले गए और हमसे बात भी नहीं की। हमने राष्ट्रपति मुर्मू को रिपोर्ट सौंप दी है। संविधान का अनुच्छेद 338 अनुसूचित जाति और जनजाति को सुरक्षा देता है, लेकिन इसका उल्लंघन हो रहा है और उसमें सरकार का भी समर्थन है। इसलिए वहां (पश्चिम बंगाल) राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।'
अरुण हलदर ने कहा कि 'जब वह संदेशखाली पहुंचे तो उन्होंने (टीएमसी सरकार) बहुत ड्रामा किया। पीड़ित महिलाएं बहुत कुछ कहना चाहती थीं, लेकिन माहौल ऐसा था कि वे ज्यादा कुछ नहीं कह पायीं। पुलिस कोई भी बात नहीं सुन रही थी और यह बेहद अपमानजनक था। पुलिस राजनीतिक पार्टी की शाखा की तरह काम कर रही थी।'

आयोग के सदस्यों ने राज्य सरकार पर लगाए थे आरोप

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सदस्यों में अरुण हलदर, सुभाष रामनाथ पारदी और डॉ. अंजू बाला शामिल हैं। आयोग के सदस्यों ने संदेशखाली में पीड़ितों से मुलाकात की और उन पर हुए कथित अत्याचार की जानकारी ली। आयोग की सदस्य डॉ.अंजू बाला ने पीड़ित परिवार से बात करने के बाद राज्य  सरकार पर गंभीर आरोप लगाए और मांग की कि संदेशखाली में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए ताकि लोग सुरक्षित रहें। उन्होंने कहा कि 'सीएम ममता बनर्जी नहीं चाहतीं कि कुछ भी बाहर आए। महिलाओं के खिलाफ हुई प्रताड़ना की एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई है।

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