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प्रो.सिम्मी अग्निहोत्री की श्रद्धांजलि एवं प्रार्थना सभा में शामिल हुए मुख्यमंत्री।

  प्रोफेसर सिम्मी अग्निहोत्री असाधारण शिक्षाविद्                            थीं: मुख्यमंत्री। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सु...


  प्रोफेसर सिम्मी अग्निहोत्री असाधारण शिक्षाविद्                            थीं: मुख्यमंत्री।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू आज ऊना जिले के हरोली उपमंडल के गांव गोंदपुर जयचंद में उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की धर्मपत्नी प्रोफेसर सिम्मी अग्निहोत्री की श्रद्धांजलि एवं प्रार्थना सभा में शामिल हुए। उनका 9 फरवरी को आकस्मिक निधन हो गया था। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रोफेसर सिम्मी अग्निहोत्री का आकस्मिक निधन परिवार विशेषकर मुकेश अग्निहोत्री और उनकी बेटी आस्था अग्निहोत्री के लिए अपूर्णीय क्षति है। उन्होंने कहा कि दुःख की इस घड़ी में उन्हें एक-दूसरे का भावनात्मक सहारा बनना होगा। प्रोफेसर सिम्मी अग्निहोत्री परिवार के लिए एक बड़ी ताकत और सहारा थीं। उनके विचारों और सरल स्वभाव का अनुसरण करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
उन्होंने कहा कि प्रोफेसर सिम्मी अग्निहोत्री एक असाधारण शिक्षाविद् होने के साथ-साथ एक कर्मठ सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं। शिक्षा एवं सामाजिक कार्यों के क्षेत्र में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। महिला उत्थान और सशक्तिकरण के लिए वह प्रेरणास्रोत रहेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं विश्वविद्यालय के दिनों से ही उनसे परिचित था और उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में सादगी और समर्पण से सर्वश्रेष्ठ मुकाम हासिल किया। 
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्हें कभी प्रोफेसर सिम्मी से मिलने का अवसर नहीं मिला। इस प्रार्थना सभा में भाग लेकर उन्होंने महसूस किया कि प्रोफेसर सिम्मी एक बहुआयामी प्रतिभाशाली महिला थीं, उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र और सामाजिक कार्यों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
स्व. प्रोफेसर सिम्मी अग्निहोत्री के जीवन और कार्यों पर एक वृत्तचित्र भी दिखाया गया।
कृषि मंत्री चंद्र कुमार, तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी, विधायक राम कुमार, संजय रतन, भवानी सिंह पठानिया, सुदर्शन बबलू और नीरज नैय्यर, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार सुनील शर्मा बिट्टू, पूर्व मंत्री कुलदीप कुमार, पूर्व विधायक सतपाल रायजादा, डीसीसी अध्यक्ष रणजीत सिंह राणा, उपायुक्त जतिन लाल, पुलिस अधीक्षक राकेश सिंह, कांग्रेस के नेता और अन्य गणमान्य लोग भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

     नहीं मानने को तैयार मेरा दिल फिर कभी न             पाऊंगी अपनी मां से मिल :आस्था अग्निहोत्री।

आस्था अग्निहोत्री:नहीं मानने को तैयार मेरा दिल फिर कभी न पाऊंगी अपनी मां से मिल। मेरे जीवन की परिभाषा थी मेरी मां सिमी अग्निहोत्री , मेरी मां सिर्फ मेरी मां नहीं अपितु मेरी सहेली सबसे अच्छी सहेली और कभी कभी तो मेरी नटखट छोटी बेटी होती। में अपनी मां की पूंछ बनकर उनके आगे पिशे घूमती रहती मेरी मां ही मेरा सब कुछ थी। मैं अपने जीवन आज जो कुछ भी कर पाई मेरी मां की सोच और संकप्ल उसके पीछे थी। कहते हैं भाग्य ऊपर वाला लिखता है पर इन 29 सालों में मेरी मां ने मेरी जीवन गाथा लिखी। मुझे क्या करना, किससे मिलना,क्या खाना, क्या पहनना और क्या पड़ना है यह सब मेरी मां तय करती आई हैं। अगर आज मैने पीएचडी करी और शिक्षा में बेहतर अवल दर्ज किया तो यह सब मेरी मां के सहयोग ओर संकल्प व उनकी सोच थी। मेरी मां उस मोरनी की तरह थी जो अपने पंखों के नीचे सभी को समा लेती है। तिनका तिनका जोड़कर हमारे घर को बनाने वाली मेरी मां सिमी अग्निहोत्री मेरे पिता के राजनीतिक सफर में निर्णायक भूमिका निभाती रही । मेरी मां का कहना था कि जब तक मैं जिंदा हूं आप कभी चुनाव हार ही नहीं सकते। अगर आज हमें समाज एक रुतबा मिला है उसमे मेरी मां का त्याग,स्मर्पण व योगदान सबसे बड़ा है। मेरी मां करुणा और प्यार से संपूर्ण एक सागर थी। वह हर दिन एक जिंदादिली से गुजरती कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि हर दिन अच्छा या बुरा आया पूर्ण संवेदनशील व समर्पण से सबको प्रेरित किया और आजीवन दूसरों को हसाती रही और वो हंसाने की क्षमता उन्होंने कभी भी नहीं खोई। समय अच्छा हो या बुरा भगवान पर उनका विश्वास अटल था आप सभी जानते है कि वे हजारों महिलाओं को लेकर वे कभी चिंतपूर्णी जाती और कभी डेरा बाबा मुरादशाह के दरबार में नतमस्तक होती। उनको भगवान पर अटल विश्वास था।मेरी मां सिमी अग्निहोत्री हमारे जीवन का सार थी। कहतें है किसी के जाने के बाद उसकी अहमियत का पता चलता है मेरी मां के जाने के बाद जैसे हजारों आखें नम हुई। प्रदेश के कोने कोने से आकर लोगों ने ,मेरे अपने बजुर्गों ने , पड़ोसी राज्यों से आकर उनकी कहानियां सुनाई। यह जरूर कहना चाहूंगी की मेरी मां सिमी अग्निहोत्री निस्वार्थ मानवता का प्रतीक थी ओर रहेंगी भी। मेरी मां जाना सिर्फ मेरी मां का जाना नहीं बल्कि मुझे अहसास है की देश ने एक महान नागरिक खो दिया है। मुझे अहसास है की मानव जाति ने एक प्रिय मित्र खो दी।
वो हमेशा दूसरों को प्रेरित करती आई हैं और आगे हम उनके आदर्शों पर चलने को कोशिश करेंगे।
में खासतौर पर प्रधानमंत्री का शुक्रगुजार करती हूं और सोनिया गांधी,राहुल गांधी, और डेरा बाबा व्यास इन सबका शुक्रगुजार करती हूं की इन सभी लोगों ने इस मुश्किल घड़ी में हमारा साथ दिया है।

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