आईटी नियमों में बदलाव के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में लगी याचिकाओं पर बुधवार (31 जनवरी) को दो जजों ने अलग-अलग फैसला सुनाया। जस्टिस ...
IT नियमों पर बॉम्बे हाईकोर्ट में 2 जज बंटे:तीसरे के पास जाएगा मामला; फेक न्यूज पर नए IT नियमों के खिलाफ याचिकाओं का मामला
मुंबई2 दिन पहले
बॉम्बे हाईकोर्ट की तरफ से जजमेंट की फाइनल कॉपी जारी नहीं की गई है। - Dainik Bhaskar
बॉम्बे हाईकोर्ट की तरफ से जजमेंट की फाइनल कॉपी जारी नहीं की गई है।
आईटी नियमों में बदलाव के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में लगी याचिकाओं पर बुधवार (31 जनवरी) को दो जजों ने अलग-अलग फैसला सुनाया। जस्टिस गौतम पटेल ने याचिकार्ताओं का समर्थन करते हुए कहा कि नए नियम सेंसरशिप के समान है। वहीं, जस्टिस नीला गोखले ने सरकार का पक्ष लेते हुए कहा कि नए नियमों से फ्री स्पीच के अधिकरों पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।
दरअसल, केंद्र सरकार ने 6 अप्रैल 2023 को सोशल मीडिया पर अपने खिलाफ वायरल होने वाले फर्जी कंटेंट पर लगाम लगाने के लिए IT नियमों में बदलाव किए थे। इसके तहत सरकार ने फैक्ट चेकिंग यूनिट (FCU) के गठन की बात कही थी। यह अथॉरिटी तय करेगी की सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ क्या नकली, झूठा और भ्रामक है।
इसके खिलाफ स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन्स ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिकाकर्ताओं ने सरकार के नियमों को मनमाना और असंवैधानिक बताया है। साथ ही दावा किया था कि इन बदलावों का नागरिकों के मौलिक अधिकार पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
हालांकि, सरकार ने कहा था कि कोर्ट के फाइनल जजमेंट से पहले फेक्ट चेक यूनिट का गठन नहीं होगा। आज जब दो जजों का अलग-अलग फैसला आया है तो जस्टिस गौतम पटेल ने कहा है कि यूनिट के गठन को और 10 दिनों के लिए आगे बढ़ाया जाए। इसे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मान लिया है।
4 प्वाइंट्स में समझिए, फैसला सुनाते समय जजों ने क्या-क्या कहा?
सुनवाई के दौरान जस्टिस पटेल ने कहा कि कोई भी मौलिक अधिकार यह नहीं कहता है कि हर नागरिक को केवल सही और सटीक जानकारी मिलनी चाहिए, जैसा कि सरकार ने नए नियमों में तय किया है।
दूसरी ओर जस्टिस गोखले ने कहा कि फर्जी या गलत जानकारी साझा करने का अधिकार अभिव्यक्ति के अधिकार का हिस्सा नहीं है।
जस्टिस गोखले मुताबिक नए नियम मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करते।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस पटेल ने कहा कि हमारे पास प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो (PIB) है, जिसकी सोशल मीडिया पर सक्रियता है। PIB को सरकार ही नियंत्रित करती है। फिर फेक्ट चेक यूनिट कि क्या जरूरत है।
कोर्ट ने कहा था- चीटीं मारने के लिए हथौड़े का इस्तेमाल नहीं हो सकता
मामले को लेकर 14 जुलाई 2023 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि नए नियम कुछ ज्यादा ही सख्त है। नियमों में बदलाव भारी पड़ सकते हैं। चींटी मारने के लिए हथौड़े का इस्तेमाल नहीं कर सकते।बेंच ने कहा था कि वो नियमों में संशोधन के पीछे की जरूरतों को नहीं समझ पाई है।
6 अप्रैल को केंद्र ने IT नियमों में संशोधन की घोषणा की थी
6 अप्रैल 2023 को केंद्र सरकार ने IT नियम-2021 में कुछ संशोधनों की घोषणा की थी। इसमें फर्जी, गलत या भ्रामक ऑनलाइन कंटेंट को जांचने के लिए एक फैक्ट चेक यूनिट का प्रावधान भी शामिल है। 2023 संशोधन नियम (MeitY) केंद्र सरकार की फैक्ट चेकिंग यूनिट को सूचना देने की शक्ति देता है।
ये यूनिट केंद्र सरकार के किसी भी व्यवसाय के बारे में फेक या गलत या भ्रामक ऑनलाइन कंटेंट की पहचान करेगा। एक तरह से देखा जाए तो IT नियम संशोधन केंद्र सरकार को उसके बारे में सोशल मीडिया में फेक न्यूज की पहचान करने का अधिकार देता है।
कोई पोस्ट, खबर फर्जी पाई गई तो URL भी डिलीट करना होगा
नियमों के मुताबिक ये यूनिट तय करेगा कि कौन सी पोस्ट और खबर फर्जी या भ्रामक है। ये बॉडी इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंडर काम करेगी। ये यूनिट सभी इंटरनेट कंपनियों की सामग्रियों की जांच करेगा। इन कंपनियों में गूगल, फेसबुक, ट्विटर से लेकर सभी तरह की न्यूज और गैर न्यूज कंपनियां आती हैं।
यूनिट की जांच के दायरे में अगर कोई पोस्ट,खबर फर्जी या गलत पाई जाएगी तो सरकार उससे जुड़ी कंपनी को उस कॉन्टेंट को हटाने का आदेश देगी। इसमें इंटरनेट सेवाएं देने वाली कंपनियों को ऐसे कॉन्टेंट के URL को भी डिलीट करना होगा।
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