Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Grid

GRID_STYLE

Hover Effects

TRUE

Breaking News

latest

चीन अंतरिक्ष यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए धरती से चांद तक बनाएगा सुपरहाइवे, वैज्ञानिकों ने बताया मैप

  चीन अंतरिक्ष यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए धरती से चांद तक बनाएगा सुपरहाइवे, वैज्ञानिकों ने बताया मैप Earth moon superhighway:  चीन के व...

 चीन अंतरिक्ष यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए धरती से चांद तक बनाएगा सुपरहाइवे, वैज्ञानिकों ने बताया मैप


Earth moon superhighway: चीन के वैज्ञानिकों ने अपनी नेशनल स्ट्रैटजिक जरूरतों को पूरा करने और अंतरिक्ष यात्रा को आसान और सुरक्षित बनाने के लिए पृथ्वी और चंद्रमा के बीच बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए एक रोड मैप का अनावरण किया है।

चाइना एकेडमी ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी (CAST) और बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेसक्राफ्ट सिस्टम इंजीनियरिंग के शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस कम्युनिकेशन सुपरहाईवे का काम, एक बार पूरा होने पर, 30 सैटेलाइट्स और तीन चंद्र ग्राउंड स्टेशनों का नेटवर्क तैयार हो जाएगा, जो ग्लोबल यूजर्स को रियल टाइम कम्युनिकेशन, नेविगेशन और सर्विलांस सर्विस प्रदान करेगा।

इसका मकसद कई उपयोगकर्ताओं को तस्वीरें, ऑडियो-वीडियो के जरिए पृथ्वी के साथ कम्युनिकेशन करने की क्षमता तैयार करना है, ताकि चंद्र मिशन के दौरान सटीक स्थिति मिलती रहे। यानि, रियल टाइम (लाइव) में देखा जा सकता है, कि चंद्रमा पर क्या हो रहा है?

ये सुपरहाइवे कोई ईंट-पत्थर और कंक्रीट का नहीं है, बल्कि कम्युनिकेशन हाइवे है, जिसका मकसद पृथ्वी और चंद्रमा के बीच डायरेक्ट कम्युनिकेशन नेटवर्क बनाना है।

सिस्लूनर अंतरिक्ष प्लान क्या है?

चीनी वैज्ञानिकों ने जो कम्युनिकेशन सुपरहाइवे का प्लान पेश किया है, वो प्रस्तावित नेटवर्क पृथ्वी और चंद्रमा के बीच सिस्लूनर स्पेस में गतिशील लक्ष्यों को भी ट्रैक करेगा। रिसर्चर्स ने इस बात पर प्रकाश डाला है, कि सिस्लूनर स्पेस मानवीय गतिविधियों के लिए एक नया क्षेत्र बन गया है, जिसके आने वाले वर्षों में तेजी से विस्तार होने की उम्मीद है।

चीन का लक्ष्य उभरती सिस्लूनर अर्थव्यवस्था में बढ़त हासिल करने के लिए इस बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए एक शीर्ष-स्तरीय रोडमैप स्थापित करना है।

मिलिट्री फील्ड में सिस्लूनर स्पेस का कॉन्सेप्ट का महत्व बढ़ रहा है। अमेरिकी वायु सेना, चांद के रास्ते में कृत्रिम वस्तुओं का पता लगाने और उन्हें ट्रैक करने के लिए एक उपग्रह विकसित कर रही है। अमेरिका, यूरोप और जापान की नागरिक अंतरिक्ष एजेंसियों ने भी चांद पर वैज्ञानिक अन्वेषण और कॉमर्शियल ऑपरेशन का समर्थन करने के लिए इसी तरह के बुनियादी ढांचे का सुझाव दिया है।

चीनी वैज्ञानिकों का रोडमैप क्या है?

चीनी वैज्ञानिकों ने सिस्लुनर इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए तीन स्टेज का प्रस्ताव रखा है। अंतिम चरण में 30 उपग्रहों, तीन चंद्र ग्राउंड स्टेशनों और मौजूदा पृथ्वी-आधारित कम्युनिकेश फैसिलिटी का एक व्यापक नेटवर्क बनाने की परिकल्पना की गई है। इस नेटवर्क का मकसद 10 गीगाबाइट प्रति सेकंड की डेटा ट्रांसमिशन दर हासिल करना और चंद्र की सतह की गतिविधियों और पृथ्वी और चंद्रमा के बीच यात्राओं के लिए नेविगेशन सटीकता में सुधार करना है।

शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया है, कि इस बुनियादी ढांचे को विकसित करने में अंतरराष्ट्रीय अनुकूलता और सहयोग को ध्यान में रखना चाहिए। यह प्लान, अंतरिक्ष शक्ति के रूप में चीन की आकांक्षाओं का समर्थन करता है और देश के भीतर नए एयरोस्पेस उद्योगों को बढ़ावा देता है।

चीन को उम्मीद है, कि इस पहल से कई यात्री एक साथ कई मीडिया माध्यमों से पृथ्वी से कम्युनिकेशन कर सकेंगे। इसके अलावा, इसका मकसद चंद्र मिशन के दौरान सटीक स्थिति, नेविगेशन और समय की जानकारी प्रदान करना है।

रिसर्चर्स का तर्क है, कि इस तरह के बुनियादी ढांचे की स्थापना महत्वपूर्ण है क्योंकि सिस्लुनर अंतरिक्ष में अंतरिक्ष गतिविधियों का तेजी से विस्तार होने वाला है। उनका मानना ​​है कि इस उभरती अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल करना अंतरिक्ष अन्वेषण में चीन को भविष्य में काफी कामयाबी मिलेगी।

प्रस्तावित नेटवर्क न केवल कम्युनिकेशन को आसान बनाएगा, बल्कि निगरानी क्षमताओं को भी बढ़ाएगा। यह सिस्लुनर क्षेत्र में गतिशील लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से ट्रैक करने में सक्षम होगा।

चीन का लक्ष्य इस एडवांस बुनियादी ढांचे का लाभ उठाकर नए एयरोस्पेस उद्योगों को बढ़ावा देना है। जिससे स्पेस सेक्टर में उसकी शक्ति और बढ़े। यह महत्वाकांक्षी योजना अंतरिक्ष अन्वेषण में अपनी क्षमताओं को आगे बढ़ाने के लिए चीन के फोकस को दर्शाती है। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच मजबूत बुनियादी ढांचा स्थापित करके, चीन भविष्य के चंद्र मिशनों और उससे आगे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहता है।

No comments