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गौरव गाथा: धोखे से पीठ पर किया था वार, ताबड़तोड़ गोलियों के बीच 25 दुश्मनों को ढेर कर बलिदान हुए थे अजायब सिंह

 गौरव गाथा: धोखे से पीठ पर किया था वार, ताबड़तोड़ गोलियों के बीच 25 दुश्मनों को ढेर कर बलिदान हुए थे अजायब सिंह कारगिल युद्ध के दौराना वतन प...


 गौरव गाथा: धोखे से पीठ पर किया था वार, ताबड़तोड़ गोलियों के बीच 25 दुश्मनों को ढेर कर बलिदान हुए थे अजायब सिंह

कारगिल युद्ध के दौराना वतन पर मिटने वाले शहीदों में से नायक अजायब सिंह ऐसे जांबाज बहादुर वीर सैनिक थे, जिसकी शहादत से प्रेरित होकर उनके गांव के करीब दस युवाओं ने सेना ज्वाइन की। इनमें से अधिकतम सिख रेजिमेंट में ही हैं।
कारगिल युद्ध के दौराना वतन पर मिटने वाले शहीदों में से नायक अजायब सिंह ऐसे जांबाज बहादुर वीर सैनिक थे, जिसकी शहादत से प्रेरित होकर उनके गांव के करीब दस युवाओं ने सेना ज्वाइन की। इनमें से अधिकतम सिख रेजिमेंट मे ही हैं। 

वर्ष 1999 में टाइगर हिल पर तिरंगा फहराने से चंद मिनट पहले 8 सिख रेजिमेंट के नायक अजायब सिंह दुश्मनों से लोहा ले रहे थे। सामने से ताबड़तोड़ गोलियां चल रही थीं। 8-सिख रेजिमेंट के नायक अजायब सिंह हाथ में बंदूक और मन में दुश्मन को नेस्तनाबूद करने का इरादा लिए आगे बढ़ रहे थे
अजायब सिंह ने एक-एक कर पाकिस्तान के 25 सैनिकों को ढेर कर दिया। नायक अजायब सिंह ने पाकिस्तान के 25 सैनिकों को ढेर कर दिया था। पाकिस्तानी सैनिक अजायब सिंह की प्रहार से काफी डरे हुए थे।

पाक के काफी सैनिक ढेर करने के बाद जब अजायब सिंह ने अपने पीछे खड़े भारतीय सैनिकों की ओर मुंह कर अपने दोनों हाथ उठाकर फतह बुलाई तो तभी सीमा के दूसरी पार से पाकिस्तानी सैनिक ने अजायब सिंह की पीठ पर गोलियां चला दीं।
टाइगर हिल पर तिरंगा फहराने से चंद मिनट पहले उन्होंने जो बहादुरी दिखाई वो आज देश के लिए इतिहास और दुश्मन के लिए खौफनाक सपना बन गई। उन्होंने टाइगर हिल के नजदीक आखिरी सांस ली। आंखें बंद करने से पहले उनके मुंह से निकला जय हिंद। 

 
अमृतसर जिले के गांव जहांगीर के सपूत का पार्थिव शरीर जब गांव पहुंचा तो हर किसी की आंखें नम थीं और सीना गर्व से भरा था। पत्नी मनजीत कौर कहतीं हैं, उनकी कमी महसूस होती है, लेकिन देश के लिए जो किया उस पर जितना फख्र करूं कम है।

 
अमृतसर के गांव जहांगीर में जन्मे थे अजायब सिंह
अमृतसर जिले के गांव जहांगीर के इस सपूत ने 7 जुलाई 1999 को अपनी शहादत दी थी। तिरंगे में लिपटा उनका शव जब उनके पैतृक गांव पहुंचा तो सभी की आंखें नम हो गईं। शहीद के बड़े भाई जोगिंदर सिंह बताते हैं कि अजायब सिंह 1984 में सेना में भर्ती हुए थे। अजायब सिंह की मौत के दो वर्ष बाद ही उनके माता-पिता का भी देहांत हो गया।
अजायब सिंह के साथ ही उनके ताया का बेटा जसपाल सिंह भी टाइगर हिल में था। वहां जसपाल को गोली लगी तो अजायब सिंह ने उसे अस्पताल पहुंचाया और फिर से वीरभूमि पर लौट गया। सरकार ने गांव के एलिमेंटरी स्कूल को उनके शहीद भाई अजायब सिंह सरकारी एलिमेंटरी स्कूल का नाम दिया है।

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