Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Grid

GRID_STYLE

Hover Effects

TRUE

Breaking News

latest

Dengue Cases In HP: सतर्कता न बरती तो हिमाचल में भी फैल सकता है डेंगू, स्वास्थ्य विभाग के अध्ययन में इशारा

 हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अध्ययन से पता चला है कि अगर सतर्कता नहीं बरती और उचित कदम नहीं उठाए तो यहां भी डेंगू...

 हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अध्ययन से पता चला है कि अगर सतर्कता नहीं बरती और उचित कदम नहीं उठाए तो यहां भी डेंगू का प्रकोप हो सकता है।

हिमाचल ने अगर सतर्कता नहीं बरती और उचित कदम नहीं उठाए तो यहां भी डेंगू का प्रकोप हो सकता है। यह खुलासा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से डॉक्टरों की टीम के अध्ययन से हुआ है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने डेंगू को लेकर अधिक सतर्क रहने की जरूरत पर बल दिया है। विभाग की डॉ. एकता शर्मा के नेतृत्व में किए यह अध्ययन कांगड़ा जिले में किया गया। इसको लेकर डॉ. शर्मा, डॉ. तरुण सूद, डॉ. गुरमीत कटोच और डॉ. राजेश गुलेरी की शोध टीम ने जिले के एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम सेल के डाटा का विश्लेषण किया। 2017 से 2022 तक छह साल की अवधि को कवर करते हुए इस अध्ययन के अनुसार कांगड़ा में 6008 संदिग्ध डेंगू के मामले सामने आए।

विशेषज्ञों के अनुसार विश्लेषण में इनमें से लगभग 7% के टेस्ट पॉजिटिव पाए गए। यानी संदिग्ध मामलों में से 441 लोगों में डेंगू पाया गया। अध्ययन में डेंगू की पुरुषों में भी अधिक व्यापकता पाई गई, जिसमें निदान किए मामलों की औसत आयु 37.7 वर्ष थी। शोध में एक चिंताजनक मौसमी प्रवृत्ति की पहचान की गई। अध्ययन में सभी वर्षों में अगस्त के अंत से नवंबर तक डेंगू के मामलों के उभरने का पैटर्न देखा गया। अध्ययन के निष्कर्ष में स्वास्थ्य अधिकारियों को चेतावनी दी है कि डेंगू एक मच्छर जनित वायरल बीमारी है, जो हल्के बुखार से लेकर जानलेवा स्थिति तक हो सकती है। पहले इसे उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की बीमारी माना जाता था, लेकिन उप-हिमालयी क्षेत्र में डेंगू की बढ़ती उपस्थिति के कारण तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

अध्ययन वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रमों के बारे में बेहतर तैयारी और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। मानसून के बाद की अवधि में इन प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने से भविष्य में होने वाले प्रकोपों को काफी हद तक रोका जा सकता है। शोध दल ने निगरानी तंत्र को मजबूत करने और डेंगू संक्रमण के प्राथमिक वेक्टर एडीज मच्छर की आबादी को नियंत्रित करने के लिए लक्षित हस्तक्षेपों को लागू करने की सिफारिश की है। मच्छरदानी और विकर्षक का उपयोग करने जैसे निवारक उपायों को बढ़ावा देने वाले सामुदायिक शिक्षा अभियान रोग के प्रसार को कम करने में महत्वपूर्ण हो सकते हैं। डेंगू के मामलों की बढ़ती प्रवृत्ति को स्वीकार करके और सक्रिय कदम उठाकर हिमाचल प्रदेश इस सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकता है और अपने नागरिकों की भलाई की रक्षा कर सकता है।News source



No comments