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HRTC : एचआरटीसी को हर महीने 10 करोड़ की चपत

  सरकार के सामाजिक दायित्व की पूर्ति कर रही एचआरटीसी को हर महीने 10 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह नुकसान सरकार के दायित्वों की प...

 

सरकार के सामाजिक दायित्व की पूर्ति कर रही एचआरटीसी को हर महीने 10 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह नुकसान सरकार के दायित्वों की पूर्ति करने की वजह से हो रहा है, जिसकी एवज में सरकार पूरी भरपाई नहीं कर पा रही है। यही कारण है कि हर महीने 10 करोड़ के नुकसान का आंकड़ा सालाना 120 करोड़ में बदल रहा है और एचआरटीसी खुद के दायित्वों को पूरा नहीं कर पा रहा है। अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन की अदायगी उससे नहीं हो रही है, तो वहीं पेंशन के लाले भी पड़ चुके हैं। सूत्रों के अनुसार एचआरटीसी ने अपने घाटे के कारणों और उससे उभरने की रणनीति को लेकर जो रिपोर्ट बनाई है, उस पर मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा की जाएगी। प्रदेश मंत्रिमंडल के सामने पूरी बात रखी जाएगी और यह बताया जाएगा कि आखिर सरकार की वचनबद्धताओं को पूरा करने के चलते सरकार को एचआरटीसी की कितनी मदद करनी चाहिए, जो कि नहीं हो पा रही है।


सूत्रों की मानें को एचआरटीसी ने जो रिपोर्ट बनाई है, उसमें कुछ सुधारात्मक कदम उठाने की बात है। सरकार का बताया जाएगा कि निगम को क्या करना चाहिए। इसमें किराया बढ़ोतरी या फिर कंसेशन आदि की योजनाओं को बंद करने का जिक्र भी किया गया है, ताकि निगम की हालत में सुधार हो। या फिर इसकी एवज में सरकार पैसा बढ़ाए, तो उसकी कमी कुछ हद तक पूरी हो सकती है। निगम के पास जो आमदनी है उसका 55 फीसदी पैसा डीजल व पेंशन पर खर्च हो रहा है।


सरकार की सहायता से भी नहीं सुधर रहे परिवहन निगम के हालात


हर महीने सरकार एचआरटीसी को 60 से 62 करोड़ रुपए की राशि दे रही है। इस महीने यह राशि 63 करोड़ रुपए दी गई, मगर इससे भी निगम के हालात नहीं सुधर रहे। यह पूरा पैसा कर्मचारियों के वेतन और पेंशन की अदायगी में लग रहा है। इसमें भी बड़ी बात यह है कि कई बार सरकार से इससे भी कम राशि आती है, तो कभी वेतन रुक जाता है, तो कभी पेंशन की अदायगी। उसकी खुद की कमाई मासिक आधार पर देखें, तो 75 करोड़ रुपए के आसपास होती है, जो कि पिछले एक दो साल में बढ़ी है। एचआरटीसी को प्रतिमाह 140 करोड़ रुपए की जरूरत रहती है और उसके पास कभी 130 करोड़ का जुगाड़ होता है, तो कभी 135 करोड़। हर महीने पांच से 10 करोड़ रउुपए की घाटा उसे रह जाता है और यह बढक़र सालाना 120 करोड़ तक पहुंच जाता है। लगातार उस पर देनदारी बढ़ती जा रही है, जिसको निपटाने के साथ स्थिति सुधार के लिए उसे कुछ बड़े कदम उठाने होंगे।


और ज्यादा मदद की आस


पेंशन के बोझ के साथ कुछ अन्य देनदारियों में सरकार उसकी मदद करती है, तो ही उसकी स्थिति सुधर सकती है। इतना ही नहीं, घाटे के रूटों को बंद करना और एक्सटेंशन वाले रूटों को भी बंद करने की सिफारिश उसके द्वारा की जा रही है। पिछले साल की अपेक्षा इस साल पिछले तीन महीनों में उसकी आमदनी में 18 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। अब देखना होगा कि एचआरटीसी को फायदे में लाने को सरकार क्या निर्णय लेती है, क्योंकि इससे पहले निदेशक मंडल में उपमुख्यमंत्री के सामने प्रेजेंटेशन हो चुकी है और वह भी एचआरटीसी को सहारा देने के हक में हैं।News source

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