हिमाचल प्रदेश (Himachal Weather) में सुस्त मानसून की वजह से सूखे जैसे हालात बने हुए हैं। सबसे ज्यादा धान और मक्के की फसल प्रभावित हुई है। क...
हिमाचल प्रदेश (Himachal Weather) में सुस्त मानसून की वजह से सूखे जैसे हालात बने हुए हैं। सबसे ज्यादा धान और मक्के की फसल प्रभावित हुई है। कई जगहों पर धान के खेत में दरारें तक आ गई है। प्रदेश में 30 प्रतिशत क्षेत्र ही सिंचित है यानी 70 प्रतिशत कृषि केवल वर्षा पर निर्भर है। सरकार ने सूखे से प्रभावित क्षेत्रों और फसल की रिपोर्ट मांगी है।
मानसून के कमजोर पड़ने से प्रदेश में सूखे जैसे हालात हो गए हैं। जुलाई में सामान्य से कम वर्षा हो रही है। इससे धान और मक्के की फसल प्रभावित हुई है। कई स्थानों पर फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। धान के खेत ऐसे नजर आ रहे हैं मानो कई माह का सूखा हो।
सरकार ने मांगी रिपोर्ट
कई स्थानों पर 60 से 80 प्रतिशत तक धान और मक्के की फसल प्रभावित हुई है। प्रदेश में एक सप्ताह के दौरान 71 से 100 प्रतिशत तक कम वर्षा हुई है। कृषि विभाग ने सूखे से प्रभावित क्षेत्रों और फसल की रिपोर्ट मांगी है।
प्रदेश में कई स्थानों पर वर्षा आधारित धान की फसल लगाई जाती है तो कई जगह वर्षा के बाद नालों में पानी आने से सिंचाई कर धान की फसल लगाई जाती है।
70 प्रतिशत कृषि वर्षा पर निर्भर
हिमाचल के कुल क्षेत्रफल का 11.49 प्रतिशत यानी करीब 6400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र कृषि के अधीन है। 30 प्रतिशत सिंचित क्षेत्र की श्रेणी में आता है जबकि 70 प्रतिशत क्षेत्र असिंचित है जो पूरी तरह से वर्षा पर निर्भर है।
67,000 हेक्टेयर भूमि पर धान की फसल और 255 हेक्टेयर भूमि पर मक्की की फसल लगाई गई है। धान की फसल सबसे अधिक कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर और बिलासपुर में प्रभावित हुई है।
इस दिन बदलेगा मौसम का मिजाज
जुलाई में अब तक 24 से 45 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई है। हालांकि, मौसम विभाग ने 17, 18 व 19 जुलाई को अधिक वर्षा की संभावना जताई है। ऐसे में किसानों को कुछ राहत मिल सकती है। बचे हुए क्षेत्रों में धान की रोपाई हो सकती है।
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