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हिमाचल की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के सीएम सुक्खू के प्रयास - "ऊंट के मुंह में जीरा है" ।

  29 अगस्त,डी. पी. रावत। प्रधान सम्पादक, अखण्ड भारत दर्पण (ABD) न्यूज़। जब से हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने सत्ता संभाली है,तब से आज ...

 


29 अगस्त,डी. पी. रावत।

प्रधान सम्पादक, अखण्ड भारत दर्पण (ABD) न्यूज़।


जब से हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने सत्ता संभाली है,तब से आज तक मुख्य मंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू पूर्व भाजपा सरकार पर प्रदेश की आर्थिकी को कमज़ोर करने के आरोप विभिन्न मंचों पर लगाते रहे हैं।

सीएम अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए व्यवस्था परिवर्तन का नारे लगाते रहे हैं। 

सर्व प्रथम इस दिशा में पूर्व सरकार द्वारा अन्तिम दस माह में खोले गए करीब एक हज़ार संस्थान बन्द किए गए।

जहां सरकार द्वारा इस दिशा में जल उपकर(Water Cess) लगाया गया; वहीं सरकार पर मुख्य संसदीय सचिव(CPS), ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी(OSD) को कैबिनेट मंत्री के बराबर वेतन भत्ते देकर फिजूल खर्ची के आरोप लगे हैं।

जब फरवरी 2024 में सरकार गिरने के संकट के बादल छाए और लोकसभा चुनाव ने दस्तक दी; तब सरकार ने आनन फानन में चुनावी घोषणा पत्र में अपने वादे को पूरा करने के लिए पूरे प्रदेश में इन्दिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान योजना की घोषणा की। जिससे सरकार की माली हालत और खराब हुई।

 सरकार गिरने के संकट के बादल दूर होने के बाद फिर सरकार ने अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए बिजली बिल और पेय जल बिल पर पूर्व सरकार द्वारा प्रदत्त सब्सिडी को कुछ वर्गों के बन्द कर दिया। 

स्वतंत्रता दिवस पर सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता

एक मुश्त मिलने की आस थी। जब उनकी आस पूरी नहीं हुई तो 21 और 23 अगस्त को सचिवालय कर्मचारियों ने शिमला में सरकार के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर सरकार पर गम्भीर आरोप लगाए।

संजीव शर्मा,सचिवालय कर्मचारी नेता ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार के पास अपने सुख सुविधाओं के लिए पर्याप्त बजट है और कर्मचारियों को लम्बित मंहगाई भत्ता और अन्य लाभ देने के लिए मुख्य मंत्री प्रदेश की खराब वित्तीय स्थिति का रोना रोते हैं। इतना ही नहीं,उन्होंने आगे कहा कि विधान सभा अध्यक्ष के सरकारी आवास के सौंदर्यकरण पर एक करोड़ रूपया खर्च किया गया है।

मंत्री को देय ₹20,000 मासिक दूरभाष(टेलीफोन) भत्ता और ₹5,000 मासिक आदर सत्कार भत्ते पर भी उन्होंने फिजूलखर्ची के सवाल खड़े किए।

उन्होंने कहा कि सरकार जब मासिक मोबाइल रिचार्ज ₹500 पर्याप्त है तो ₹20,000 टेलिफोन भत्ता क्यों?


इसके बाद सरकार ने कर्मचारी नेता के खिलाफ़ कर्मचारी प्रोटोकाल तोड़ने के बाबत कारण बताओ नोटिस ज़ारी कर दिया है।

आज सरकार ने प्रदेश की आर्थिकी मजबूत करने के लिए आगामी दो माह के समस्त मंत्री परिषद को देय वेतन और भत्ते न लेने का फैसला किया है।

अब प्रश्न उठता है कि हिमाचल की अर्थ व्यवस्था को दुरुस्त करने में मुख्य मंत्री सुक्खू का दो माह का वेतन न लेना कितना कारगर साबित हो सकता है?

क्या समस्त मंत्री और विधायकों के वेतन और भत्तों में कुछ पूर्णकालिक कटौती नहीं हो सकती थी?

बहराल,सरकार का प्रदेश की आर्थिकी मजबूत करने के लिए यह प्रयास ऊंट के मुंह में जीरा साबित होता है।

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