पैतृक संपत्ति का बंटवारा अब ₹5000 में , संपत्ति के विभाजन और व्यवस्थापन के लिए जल्द लागू होगी नई व्यवस्था मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश! लखनऊ।...
पैतृक संपत्ति का बंटवारा अब ₹5000 में , संपत्ति के विभाजन और व्यवस्थापन के लिए जल्द लागू होगी नई व्यवस्था मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश!
लखनऊ। परिवार के सदस्यों के बीच पैतृक अचल संपत्ति का बंटवारा अब केवल पांच हजार रुपये में होगा। साथ ही जीवित व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति को परिजनों के नाम करने के लिए 5000 रुपये का ही स्टाम्प शुल्क लगेगा। इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं।
इस फैसले के बाद कई पीढ़ियों से चले आ रहे संपत्ति विवाद खत्म हो सकेंगे। बिजनेस में ईज ऑफ डूइंग के बाद प्रदेश सरकार आम लोगों के लिए इंज ऑफ लिविंग का परिवेश भी तैयार कर रही है। पांच हजार रुपये के स्टाम्प शुल्क पर अचल संपत्ति रक्त संबंधियों के नाम करने की बड़ी सहूलियत देने के बाद उत्तर प्रदेश में अब पारिवारिक विभाजन और व्यवस्थापन में भी बड़ी सुविधा मिलने जा
व्यवस्थापन प्रक्रिया
रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि व्यवस्थापन विलेख में व्यवस्थापन कर्ता पक्षकार (जीवित) अपनी व्यापक
सम्पत्ति को कई पक्षकारों के मध्य निस्तारित करता है। यानी सम्पत्ति यदि परदादा
परदादी जीवित हों, तो उनके पक्ष में, और यदि प्रपात्र प्रपौत्री जीवित हों, तो उनके पक्ष में की जा सकती है। दो भाइयों के पास दो प्रापर्टी है।
दोनों ही संयुक्त साझीदार हैं। यदि बंटवारा
करना हो तो दोनों प्रापर्टी पर सर्किल रेट की दर पर 7 फीसदी स्टांप शुल्क देना होगा। अब दोनों भाई आपस में ही संपत्ति का बंटवारा कर लेंगे और रजिस्ट्री आफिस जाकर सहमति देकर केवल पांच हजार रुपये में रजिस्ट्री करा लेंगे।'
पैतृक संपत्ति के विवाद निपटाने के लिए नया फॉर्मूला तैयार, मुख्यमंत्री ने कहा कि स्टांप शुल्क पर अधिक खर्च के कारण परिवार में बंटवारे की स्थिति में विवाद होते हैं। लोग कोर्ट में चले जाते हैं। अब केवल पांच हजार रुपये स्टाम्प शुल्क होने से परिवार के बीच सेटलमेंट आसानी से हो सकेगा।
विभाजन प्रक्रिया स्टांप एवं पंजीयन, मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि परिवार में प्यार और एकता का वातावरण बनाने में ये प्रस्ताव मील का पत्थर साबित होगा। विभाजन
दस्तावेज में सभी पक्षकार विभाजित संपत्ति में संयुक्त हिस्सेदार होते हैं और बंटवारा उनके बीच होता है। वर्तमान में पैतृक संपत्ति के बंटवारे के लिए तहसील में कुटुंब रजिस्टर बनता है, जिसमें संपत्ति के सभी हिस्सेदारों के नाम चढ़ते हैं। फिर तहसीलदार के सामने सहमति पत्र दिया जाता है। इसमें लंबा समय लग जाता है। दूसरी प्रक्रिया के तहत हिस्सेदार अदालत चले जाते हैं, जिसके निपटारे में कई साल लग जाते हैं। तीसरी प्रक्रिया के तहत पैतृक संपत्ति के सभी हिस्सेदार एक साथ आते हैं।
सहमति पत्र देते हैं। यदि संपत्ति की कीमत एक करोड़ रुपये है तो उस पर सात लाख रुपये स्टांप शुल्क देय है। लेकिन पैतृक संपत्ति के बंटवारे में 30 फीसदी छूट मिलती है। यानी एक करोड़ की संपत्ति पर 4.90 लाख रुपये स्टांप शुल्क पड़ेगा। शुल्क को लेकर आपस में विवाद के चलते मामले फंस जाते हैं।
इन सभी समस्याओं का अंत करने के लिए पैतृक संपत्ति के सभी हिस्सेदार एक साथ आकर तहसीलदार के सामने सहमति देंगे। आपस में ही लिखित में बंटवारे का फार्मूला देंगे और केवल 5000 स्टांप शुल्क देकर इसे लागू कर दिया जाएगा।
जिला संवाददाता मयंक शेखर मिश्रा
अखंड भारत दर्पण न्यूज़ प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश
No comments