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ग्लैंडर्स रोग: हिमाचल प्रदेश में फैलने वाली ग्लैंडर्स बीमारी, मानव में संक्रमण का खतरा भी बना रहता है; जानकारी प्राप्त करें।

  सार हिमाचल प्रदेश में घोड़ों और खच्चरों में ग्लैंडर्स बीमारी का प्रकोप बढ़ गया है। जांच के दौरान एक नमूना सकारात्मक पाया गया है। पूरी खबर ...

 सार

हिमाचल प्रदेश में घोड़ों और खच्चरों में ग्लैंडर्स बीमारी का प्रकोप बढ़ गया है। जांच के दौरान एक नमूना सकारात्मक पाया गया है। पूरी खबर पढ़ें....


विस्तार

मंडी जिले में घोड़ों और खच्चरों में ग्लैंडर्स बीमारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। मकरीड़ी समौण से लिए गए घोड़ों के रक्त के नमूने राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार में जांच के दौरान सकारात्मक पाए गए हैं। इस बीमारी के उपचार के लिए विभाग ने जिलेभर में घोड़ों और खच्चरों के रक्त के नमूनों के लिए फील्ड स्टाफ को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। पशुपालन विभाग ने सभी घोड़ा पालकों से सैंपलिंग में सहयोग करने की अपील की है।

ग्लैंडर्स रोग क्या है? 


ग्लैंडर्स एक संक्रामक और गंभीर रोग है, जो मुख्यतः घोड़ों और खच्चरों को प्रभावित करता है। यह बर्कहोल्डरिया मैलेई नामक बैक्टीरिया के कारण होता है और इसके संक्रमण का मानवों में भी खतरा होता है। इस रोग के दौरान, संक्रमित पशुओं के शरीर में गांठें बन जाती हैं, खून मुंह से निकलने लगता है और सांस लेने में कठिनाई होती है। इस बीमारी का उपचार केवल संक्रमित पशुओं की पहचान और उन्हें मारने के माध्यम से किया जा सकता है।

इस साल मंडी जिले में बीमारी का फैलाव देर से हुआ है, जबकि कुल्लू और अन्य जिलों में पहले ही घोड़ों में ग्लैंडर्स के मामले सामने आ चुके हैं। पशुपालन विभाग ने समय पर सतर्कता बरतते हुए घोड़ों के रक्त के सैंपल एकत्रित करने का कार्य प्रारंभ किया था। ये सैंपल जांच के लिए हिसार भेजे जा रहे हैं, जहां राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र में मकरीड़ी समौण से प्राप्त एक सैंपल पॉजिटिव पाया गया है। कुछ वर्ष पूर्व पंडोह क्षेत्र में भी घोड़ों और खच्चरों में इस बीमारी का प्रकोप देखा गया था। 

ग्लैंडर्स के प्रति पशुपालन विभाग ने अपनी सतर्कता को और बढ़ा दिया है, और घोड़ों के रक्त के सैंपल लगातार लिए जा रहे हैं ताकि इस बीमारी की रोकथाम की जा सके।


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