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हिमाचल प्रदेश का 55वां राज्यत्व दिवस, बर्फ के फाहों के बीच पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त करने के साथ मनाया गया, जानें इसका इतिहास।

 हिमाचल प्रदेश राज्यत्व दिवस: 25 जनवरी 1971 को इंदिरा गांधी ने हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान किया था, और यह महत्वपूर्ण घोषणा ...

 हिमाचल प्रदेश राज्यत्व दिवस: 25 जनवरी 1971 को इंदिरा गांधी ने हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान किया था, और यह महत्वपूर्ण घोषणा शिमला के रिज मैदान में बर्फबारी के बीच की गई थी।



HIGHLIGHTS 

  • हिमाचल प्रदेश ने अपना 55वां पूर्ण राज्यत्व दिवस मनाया।
  • हिमाचल को 25 जनवरी 1971 को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान किया गया था।
  • इस वर्ष का प्रमुख समारोह कांगड़ा जिले के बैजनाथ में आयोजित किया गया।

शिमला:- हिमाचल प्रदेश, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए प्रसिद्ध है, आज अपना 55वां पूर्ण राज्यत्व दिवस मनाने जा रहा है। हिमाचल प्रदेश की स्थापना 1948 में हुई थी, लेकिन इसे पूर्ण राज्य का दर्जा 1971 में प्राप्त हुआ। उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जनवरी 1971 को हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान किया था। उस अवसर पर शिमला के रिज मैदान पर बर्फबारी के बीच हजारों लोग इंदिरा गांधी का आभार व्यक्त करने के लिए एकत्रित हुए थे। इस वर्ष का मुख्य समारोह कांगड़ा जिले के बैजनाथ में आयोजित किया गया, जहां मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने परेड की सलामी ली।


1872 में स्थापित हुई सरकारी प्रेस  

ब्रिटिश शासन के दौरान शिमला में अनेक ऐतिहासिक संरचनाएँ निर्मित की गईं। वर्तमान में भी शिमला की पहचान इन इमारतों से होती है। इनमें से एक महत्वपूर्ण संरचना है गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की प्रेस, जिसका निर्माण 1872 में हुआ। इसी भवन में 1949 में संविधान की पहली प्रति मुद्रित की गई थी। यद्यपि अब यह प्रेस कार्यरत नहीं है, फिर भी यह शिमला के इतिहास का एक अभिन्न हिस्सा बनी हुई है।


संविधान की हस्तलिखित प्रति शिमला में उपलब्ध है। 


संविधान की पहली प्रति आज भी इस प्रेस में स्मृति के रूप में सुरक्षित रखी गई है। अंग्रेजी में प्रकाशित इस प्रति में कुल 289 पृष्ठ हैं। शिमला के टूटीकंडी में स्थित भारत सरकार की प्रेस में जहां अंग्रेजी प्रति रखी गई है, वहीं अंबेडकर चौक पर स्थित राज्य संग्रहालय में संविधान की हस्तलिखित हिंदी प्रति भी उपलब्ध है। इस प्रति को प्रसिद्ध चित्रकार नंद लाल बोस ने तैयार किया था। 500 पृष्ठों वाली इस प्रति को बनाने में उन्हें चार वर्षों का समय लगा।

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