हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य के लोगों ने बिजली की सब्सिडी छोड़ दी है। अब इन लोगों ने इस महीने कितनी ब...
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य के लोगों ने बिजली की सब्सिडी छोड़ दी है। अब इन लोगों ने इस महीने कितनी बिजली खर्च की है उसके हिसाब से बिल दिया जाएगा। साथ ही, इन ग्राहकों को 125 यूनिट मुफ्त की सुविधा भी नहीं मिलेगी। 975 उपभोक्ताओं ने सब्सिडी छोड़ दी है। इनमें पेंशनभोगी, ग्रुप-ए और ग्रुप-बी के कर्मचारी भी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने राज्य बिजली बोर्ड की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए सभी उपभोक्ताओं से अपील की कि वे अपनी सब्सिडी छोड़ दें। 9975 बिजली उपभोक्ताओं ने इसके बाद सब्सिडी छोड़ दी है।
इसके तहत, इस महीने उन्होंने कितनी बिजली खर्च की होगी, उसके अनुसार उनका बिल जारी किया जाएगा। सरकारी सब्सिडी से इन्हें लाभ नहीं मिलेगा। साथ ही, इन ग्राहकों को 125 यूनिट मुफ्त की सुविधा भी नहीं मिलेगी।
जिन उपभोक्ताओं ने अभी तक सब्सिडी नहीं छोड़ी है, 4829 सरकारी कर्मचारी, 4161 पेंशनर और 985 आम उपभोक्ता इसमें शामिल हैं। इन उपभोक्ताओं ने सरकारी सब्सिडी को छोड़ दिया क्योंकि वे सक्षम हैं।
15 फरवरी तक केवाईसी कराना अनिवार्य है
राज्य सरकार सब्सिडी देकर लोगों को बिजली का बिल देती है। हालाँकि, राज्य विद्युत नियामक आयोग से बिना किसी अनुदान के टैरिफ राज्य बिजली बोर्ड को दिए जाते हैं। इससे सरकार पर लगातार दबाव पड़ा।
मुख्यमंत्री ने पहले खुद सब्सिडी छोड़ी और फिर सभी से कहा कि सक्षम लोग अपनी सब्सिडी छोड़ दें ताकि बिजली बोर्ड और राज्य की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके। वहीं, सभी को 15 फरवरी तक केवाईसी करवाना अनिवार्य किया गया है।
आयोग ने अधिकारियों को राहत नहीं दी है
पेंशनभोगी, पूर्व में क्लास-1 और क्लास-2 कर्मचारी और प्रदेश सरकार के ग्रुप-ए और ग्रुप-बी कर्मचारी को बिजली पर सब्सिडी नहीं मिलेगी। केंद्रीय सरकार बोर्ड, निगम, राज्य केंद्र सरकार के उपक्रमों के विश्वविद्यालय, राज्य केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों के समूह-ए और समूह-बी के कर्मचारी और पेंशनभोगी भी राज्य में काम करते हैं, इसलिए सब्सिडी नहीं मिलेगी। इसके बावजूद, इस नियम को अभी लागू नहीं किया गया है।
केंद्रीय बजट में 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर न लगाने से हिमाचल प्रदेश सरकार की निशुल्क योजनाओं का प्रबंधन मुश्किल होगा। 125 यूनिटों को राज्य में फ्री बिजली देने के लिए आयकर दाताओं से अपील की जा रही है।
पांच लाख रुपये से अधिक की आय वालों को अभी भी टैक्स देना होगा। ऐसे में आयकरदाताओं की संख्या कम होने से सरकार पर निशुल्क योजनाओं का बोझ बढ़ेगा। प्रदेश में 125 फ्री बिजली यूनिटों पर मासिक 40 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। यही कारण है कि राज्य के आयकर दाताओं से मुख्यमंत्री निरंतर सब्सिडी छोड़ने की अपील कर रहे हैं।
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