सार प्रदेश के विद्यालयों में अध्ययनरत 5.50 लाख छात्रों को मिड-डे मील योजना के अंतर्गत सप्ताह में दो दिन पोषक भोजन प्रदान किया जाएगा। विस...
सार
प्रदेश के विद्यालयों में अध्ययनरत 5.50 लाख छात्रों को मिड-डे मील योजना के अंतर्गत सप्ताह में दो दिन पोषक भोजन प्रदान किया जाएगा।
विस्तार
हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत 5.50 लाख छात्रों को मिड-डे मील योजना के तहत सप्ताह में दो दिन पौष्टिक भोजन प्रदान किया जाएगा। मुख्यमंत्री पौष्टिक आहार योजना, जो प्री प्राइमरी से लेकर आठवीं कक्षा के छात्रों के लिए लागू है, का विस्तार करने की योजना बनाई जा रही है। वर्तमान में, छात्रों को सप्ताह में एक दिन केला और अंडा दिया जाता है, जिसे जल्द ही बढ़ाकर दो दिन किया जाएगा। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने इस संबंध में बजट में प्रावधान करने की जानकारी दी। नर्सरी से लेकर आठवीं कक्षा तक के छात्रों को सप्ताह के छह दिन विभिन्न प्रकार के भोजन परोसे जाने के लिए विशेष मेन्यू तैयार किया गया है।
विद्यार्थियों को सप्ताह में विभिन्न प्रकार का भोजन प्रदान किया जाता है।
पहले सप्ताह के सोमवार को साबुत मूंग दाल और चावल, मंगलवार को सब्जी के साथ सोया पुलाव, बुधवार को राजमा चावल, गुरुवार को चना दाल और सब्जी के साथ खिचड़ी, शुक्रवार को उड़द दाल और चावल, तथा शनिवार को काले चने और चावल परोसे जाते हैं। इसी तरह, दूसरे सप्ताह के सोमवार को मिक्स दाल और चावल, मंगलवार को काले चने और दाल, बुधवार को मूंग दाल और सब्जी व चावल, गुरुवार को सब्जी व सोया पुलाव, और शुक्रवार को राजमा और चावल या कढ़ी तैयार की जाती है। बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के लिए हिमाचल सरकार ने पिछले वर्ष एक नई योजना शुरू की थी, जिसमें सप्ताह में एक दिन अंडा या केला (या कोई अन्य फल) देने का निर्णय लिया गया था। अब इस योजना का विस्तार करते हुए सप्ताह में दो दिन पौष्टिक आहार देने की योजना बनाई जा रही है, जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू अपने बजट भाषण में कर सकते हैं।
प्रदेश में नए शैक्षणिक सत्र से मिड डे मील में मोटे अनाज को शामिल करने की योजना बनाई जा रही है। इस पहल के तहत सरकारी स्कूलों के छात्रों को कोदा, बाजरा, बाथू, कुट्टू और चौलाई जैसे अनाज का अनुभव प्राप्त होगा और वे इनके बारे में जानकारी भी हासिल करेंगे। केंद्र सरकार ने इस संबंध में राज्यों को प्रस्ताव भेजा है, जबकि कृषि विभाग ने शिक्षा विभाग को आवश्यक प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। मोटे अनाज को मिड डे मील में शामिल करने के लिए विभाग को अतिरिक्त बजट की आवश्यकता है, जिसके लिए वर्तमान में विचार-विमर्श चल रहा है।
हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकार केंद्रीय बजट से कई महत्वपूर्ण अपेक्षाएँ रखती है, विशेषकर स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा, जो हिमाचल से हैं, के प्रति प्रदेशवासियों की आशाएँ और भी बढ़ गई हैं। हमीरपुर में प्रस्तावित कैंसर संस्थान, जो प्रदेश का पहला होगा, के लिए केंद्र से वित्तीय सहायता की उम्मीद की जा रही है। इस संस्थान के माध्यम से इंडियन काउंसिल मेडिकल रिसर्च की सहायता से प्रदेश में कैंसर के बढ़ते मामलों के कारणों की पहचान की जा सकेगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस विषय पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से चर्चा की है, जिससे इस प्रोजेक्ट की प्रगति में तेजी आने की संभावना है।
प्रदेश सरकार इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द कार्यान्वित करने की योजना बना रही है। स्वास्थ्य विभाग ने इस प्रोजेक्ट को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंप दिया है, जिससे आवश्यक अनुमोदन और बजट आवंटन की प्रक्रिया शुरू हो सके। इसके अलावा, स्वास्थ्य क्षेत्र में अन्य आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखा जा रहा है, जैसे कि चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार और गुणवत्ता में सुधार। इस प्रकार, राज्य सरकार का उद्देश्य न केवल कैंसर के उपचार में सुधार करना है, बल्कि समग्र स्वास्थ्य सेवाओं को भी बेहतर बनाना है, ताकि प्रदेश के लोगों को उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हो सकें।
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