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डॉक्टरों ने मृत युवक को जीवित बताकर जारी रखा उसका इलाज , जबकि उसकी पत्नी ने जमीन बेचकर जुटाए थे पैसे।

  आपने बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म 'गब्बर इज बैक ' देखी होगी, जिसमें एक दृश्य है जहां एक निजी अस्पताल मृतकों को जिंदा बताक...

 


आपने बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म 'गब्बर इज बैक' देखी होगी, जिसमें एक दृश्य है जहां एक निजी अस्पताल मृतकों को जिंदा बताकर उनका इलाज करने का प्रयास करता है और परिजनों से पैसे वसूलता है। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है। यहां एक अस्पताल ने सड़क दुर्घटना में घायल युवक को उसकी मृत्यु के बाद भी जीवित बताकर उसके इलाज के नाम पर परिजनों से पैसे मांगते रहे। इस प्रक्रिया में अस्पताल ने मृतक के परिवार से लगभग 10 लाख रुपये की वसूली की। इसके अलावा, अपने पति को जिंदा रखने की उम्मीद में महिला ने अपने खेत तक बेच दिए।


बहराइच जिले के रिसिया क्षेत्र में एक अस्पताल ने एक दुर्घटना में घायल युवक के परिजनों से इलाज के लिए दस लाख रुपए की मांग की। युवक की मृत्यु के बाद भी अस्पताल ने उसे जीवित बताकर वसूली का सिलसिला जारी रखा। मृतक की पत्नी द्वारा गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद स्थानीय लोगों ने अस्पताल में हंगामा किया। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया। अस्पताल के कार्यों की जांच की जा रही है, जिसके बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।


एसडीएम पूजा चौधरी ने रविवार को जानकारी दी कि मामले की जांच के लिए आदेश जारी किए गए हैं और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। मृतक की पत्नी ने मीडिया को बताया कि अस्पताल ने उनके पति को 'जिंदा' बताने का प्रयास किया, जबकि वास्तविकता इसके विपरीत थी। यह घटना स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और अस्पतालों में धन की वसूली की प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्न उठाती है। प्रशासन मामले की गंभीरता से जांच कर रहा है ताकि आगे की कार्रवाई निर्धारित की जा सके।


क्षेत्र के पटना गांव की निवासी रेशमा ने आरोप लगाया है कि उसके पति को 11 दिन पहले एक सड़क दुर्घटना में चोट आई थी, जिसके बाद उसे दरगाह क्षेत्र के बिटाना और चंद्रावती अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान परिजनों से दस लाख रुपये की मांग की गई, जिसके लिए रेशमा ने अपने दो बीघा खेत बेच दिए। अस्पताल में प्रतिदिन 14 हजार रुपये बेड चार्ज के रूप में लिए गए, जबकि दवाइयों की लागत अलग थी। शनिवार को युवक की मृत्यु हो गई, जबकि अस्पताल प्रशासन ने उपचार के दौरान उसे 'जिंदा' बताकर पैसे की मांग की।


मृतक को विवाद के बाद अस्पताल से जिला अस्पताल भेजा गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना से गांव में तनाव उत्पन्न हो गया और ग्रामीणों ने अस्पताल के बाहर हंगामा शुरू कर दिया। घटना की सूचना मिलने पर कोतवाली देहात, रिसिया और दरगाह थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया।

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