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हिम भोग - स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता का सुखद अवसर।

 हिम भोग - स्वास्थ्य और स्वरोजगार का एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है। हिमाचल प्रदेश सरकार की हिम प्राकृतिक खेती उत्पाद योजना के तहत, युवाओं ...

 हिम भोग - स्वास्थ्य और स्वरोजगार का एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है। हिमाचल प्रदेश सरकार की हिम प्राकृतिक खेती उत्पाद योजना के तहत, युवाओं के लिए नए रोजगार के अवसर सृजित किए जा रहे हैं। यह योजना न केवल कृषि को बढ़ावा देती है, बल्कि इसे एक सफल व्यवसाय में परिवर्तित करने का भी मार्ग प्रशस्त करती है। 

राज्य सरकार ने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए 'हिम भोग' ब्रांड के तहत हिम मक्की आटा बाजार में पेश किया है। यह पहल किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर आकर्षित करने के साथ-साथ उपभोक्ताओं को स्वास्थ्यवर्धक विकल्प प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। 


इस योजना के पहले चरण में हिम मक्की आटा को 1 किलो और 5 किलो की पैकेजिंग में उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से उपलब्ध कराया गया है। यह न केवल किसानों के लिए लाभकारी है, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी एक स्वस्थ आहार का विकल्प प्रस्तुत करता है।


युवाओं के लिए स्वरोजगार के नए अवसर


मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य सरकार के दो वर्ष पूरे होने के अवसर पर दिसंबर 2024 में बिलासपुर में हिम प्राकृतिक खेती उत्पाद योजना का उद्घाटन किया। इस योजना के अंतर्गत हिम भोग ब्रांड की भी शुरुआत की गई। समारोह में कुछ लाभार्थियों को सांकेतिक रूप से हिम मक्की आटा वितरित किया गया, जो युवाओं को पारंपरिक खेती से जोड़कर रोजगार के नए अवसर प्रदान करने के लिए समर्पित है।

सरकार ने मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3,000 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, जिससे अधिक से अधिक किसान और युवा इस योजना का लाभ उठा सकें। इस योजना को आगे बढ़ाने की योजना है, जिसमें अन्य प्राकृतिक खेती उत्पाद भी हिम भोग ब्रांड के तहत बाजार में लाए जाएंगे। 


उच्च गुणवत्ता वाले आटे को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने के लिए सरकार प्रयासरत है। ऊना के जिला खाद्य विभाग ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं, जिससे किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य मिल सके और वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें।


उचित मूल्य पर उच्च गुणवत्ता का आटा


ऊना के जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक राजीव शर्मा ने जानकारी दी है कि जिले के 322 डिपो के माध्यम से हिम भोग ब्रांड का प्राकृतिक खेती से निर्मित मक्की आटा उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराया जा रहा है। इन डिपो में अन्य सामान के साथ-साथ सस्ते दामों पर हिम मक्की आटा भी मिल रहा है। सिविल सप्लाई कारपोरेशन के एरिया प्रबंधक संजीव कुमार ने बताया कि ऊना जिले में अब तक 16 किसानों से 111 क्विंटल प्राकृतिक मक्की की खरीद की गई है।

हिमाचल प्रदेश देश में गेहूं और मक्की के लिए सबसे अधिक समर्थन मूल्य निर्धारित करने वाला राज्य है। यहां किसानों से गेहूं 40 रुपये प्रति किलोग्राम और मक्की 30 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदी जा रही है। यह पहल किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध हो रही है।

ऊना जिले के किसानों ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का आभार व्यक्त किया है। उनका मानना है कि सरकार के प्रयासों से कृषि क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव आ रहा है, जिससे उन्हें लाभ हो रहा है।

सरकार ने हिम प्राकृतिक खेती उत्पाद योजना के माध्यम से सेहत, स्वरोजगार और सरकारी सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। उपभोक्ताओं ने हिम भोग ब्रांड के हिम मक्की आटे की खरीदारी के लिए हिमाचल सरकार का आभार व्यक्त किया है, जो शुद्ध और प्राकृतिक आहार का विकल्प प्रदान करता है। 

ऊना की नीलम द्विवेदी ने बताया कि उन्हें उचित मूल्य की दुकानों से सस्ते दामों पर हिम मक्की आटा मिल रहा है, जो न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। कोटला कलां की सुलेखा देवी और सोनिया सैनी ने साझा किया कि उन्होंने डिपो से 50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर हिम मक्की आटा खरीदा है, जो विशेष रूप से डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। 

चताड़ा की मीना देवी और सर्वजीत कौर ने सरकार की इस पहल की प्रशंसा की है, यह बताते हुए कि प्राकृतिक खेती से उत्पादित यह आटा स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। इस प्रकार, यह योजना न केवल उपभोक्ताओं के लिए एक स्वस्थ विकल्प प्रस्तुत करती है, बल्कि स्थानीय किसानों को भी सशक्त बनाती है।




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