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हिमाचल प्रदेश में भूमि की ई-केवाईसी का फॉर्म बदला गया, अब हर मालिक को सत्यापन कराना अनिवार्य होगा।

 हिमाचल प्रदेश के राजस्व विभाग ने भूमि की ई-केवाईसी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया है। अब प्रत्येक भूमि मालिक को अपनी व्यक्तिगत ई-के...

 हिमाचल प्रदेश के राजस्व विभाग ने भूमि की ई-केवाईसी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया है। अब प्रत्येक भूमि मालिक को अपनी व्यक्तिगत ई-केवाईसी करानी होगी, जबकि पहले यह प्रक्रिया भूमि खातों के आधार पर संचालित होती थी। पहले एक ही व्यक्ति की ई-केवाईसी से पूरे खाते को सत्यापित मान लिया जाता था, जबकि कई खातों में 30-40 मालिक होते हैं, जिससे अन्य मालिकों की ई-केवाईसी अधूरी रह जाती थी। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए, केंद्र सरकार ने भूमि मालिक के अनुसार ई-केवाईसी की अनिवार्यता को लागू किया है।


इस प्रक्रिया में परिवर्तन का कारण

राज्य में डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) के अंतर्गत यह कार्य किया जा रहा है, जिसमें भूमि को आधार से जोड़ा जा रहा है। पहले खातों के आधार पर ई-केवाईसी की जा रही थी, लेकिन इसमें कई विसंगतियां सामने आईं। केंद्र सरकार ने इस पर आपत्ति जताते हुए नई प्रक्रिया को लागू किया है। हर भूमि मालिक की विशिष्ट पहचान और सत्यापन सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है।


अब तक कितनी ई-केवाईसी पूरी हुई

नई व्यवस्था के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश में अब तक कुल 27 प्रतिशत भूमि मालिकों की ई-केवाईसी संपन्न हो चुकी है। जबकि पूर्व की प्रक्रिया के तहत 60 प्रतिशत से अधिक ई-केवाईसी पूरी की जा चुकी थी। नए प्रारूप के कारण अब सभी भूमि मालिकों से संपर्क करना अनिवार्य हो गया है, जिससे कार्य की गति में कुछ कमी आई है।


जिलावार स्थिति

अब तक सबसे अधिक ई-केवाईसी का कार्य जिला किन्नौर में हुआ है, जबकि सबसे कम कार्य जिला कांगड़ा और शिमला में हुआ है। जिला बिलासपुर में 35 प्रतिशत, चम्बा में 28 प्रतिशत, हमीरपुर में 40 प्रतिशत, कांगड़ा में 22 प्रतिशत, किन्नौर में 44 प्रतिशत, कुल्लू में 29 प्रतिशत, लाहौल-स्पीति में 37 प्रतिशत, मंडी में 31 प्रतिशत, शिमला में 22 प्रतिशत, सिरमौर में 23 प्रतिशत, सोलन में 27 प्रतिशत और ऊना में 28 प्रतिशत ई-केवाईसी का कार्य पूरा हुआ है।


लगड़ू और खुंडियां तहसीलें ई-केवाईसी में सबसे आगे, शिमला शहरी पिछड़ी


प्रदेश में भूमि की ई-केवाईसी प्रक्रिया में जिला कांगड़ा की लगड़ू और खुंडियां तहसीलें सबसे आगे हैं। इन दोनों तहसीलों में 49-49 प्रतिशत कार्य संपन्न हो चुका है। इसके विपरीत, शिमला शहरी तहसील इस मामले में सबसे पीछे है, जहां केवल 11 प्रतिशत कार्य ही पूरा हुआ है। राज्य में जिन तहसीलों में भूमि की ई-केवाईसी का कार्य 45 प्रतिशत से अधिक हुआ है, उनमें जिला हमीरपुर की बड़सर और डटवाल में 45-45 प्रतिशत, भोटा में 48 प्रतिशत, जिला किन्नौर के मुरंग में 48 प्रतिशत और सांगला में 45 प्रतिशत कार्य संपन्न हो चुका है। वहीं, जिन तहसीलों में 15 प्रतिशत से कम ई-केवाईसी का कार्य हुआ है, उनमें बैजनाथ में 12 प्रतिशत, धर्मशाला में 15 प्रतिशत, नूरपुर और पालमपुर में 13-13 प्रतिशत तथा शाहपुर में 15 प्रतिशत कार्य ही पूरा हो पाया है।


अधिकारियों की अपील


राजस्व विभाग की निदेशक रितिका ने बताया कि राज्य में भूमि की ई-केवाईसी प्रक्रिया तेजी से चल रही है। उन्होंने सभी को प्रोत्साहित किया कि वे इस कार्य में सहयोग करें ताकि सरकारी अभिलेखों को अद्यतन किया जा सके और भविष्य में भूमि से संबंधित विवादों से बचा जा सके। 

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