भूकंप के आगमन का मुख्य कारण पृथ्वी के भीतर प्लेटों का आपस में टकराना है। विशेषज्ञों के अनुसार, पृथ्वी के अंदर सात प्लेटें होती हैं जो निरंतर गतिशील रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी स्थान पर टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन का निर्माण होता है, जिससे सतह के कोने मुड़ जाते हैं। इस मुड़ने के कारण दबाव उत्पन्न होता है और प्लेटें टूटने लगती हैं। इन टूटने वाली प्लेटों से उत्पन्न ऊर्जा बाहर निकलने का प्रयास करती है, जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी हिलती है और इसे भूकंप के रूप में जाना जाता है। रिक्टर पैमाने पर 3.0 से 3.9 तीव्रता वाले भूकंपों को वेरी लाइट श्रेणी में रखा जाता है, जो एक वर्ष में लगभग 49,000 बार दर्ज होते हैं। इन भूकंपों का अनुभव तो किया जाता है, लेकिन ये सामान्यतः नुकसान नहीं पहुंचाते।
कुल्लू जिले में सोमवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र कुल्लू के नीचे पांच किलोमीटर की गहराई पर था और इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.4 दर्ज की गई। सुबह लगभग 6:50 बजे आए इस भूकंप से किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है। झटके मंडी और शिमला जिले के कुछ क्षेत्रों में भी महसूस किए गए, जिसके कारण कई लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश भूकंप के दृष्टिकोण से सिस्मिक जोन चार और पांच में आता है, जिसमें कांगड़ा, चंबा, लाहौल, कुल्लू और मंडी सबसे संवेदनशील क्षेत्र माने जाते हैं।
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