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जाबन क्षेत्र के पुनण शाड़नू,टिप्पलदड़ शाड़नू,बीस शौऊज जातर,बूढ़ी दिवाली मेला आदि विभिन्न मेले बीते जमाने की बात: भाग चन्द।

  ▶️युवाओं से पहाड़ी बोली में बातचीत करने की अपील। डी० पी० रावत। आनी,13 जून। हिमाचल प्रदेश के ज़िला कुल्लू के तहसील आनी के अन्तर्गत कोठी सीर...

 




▶️युवाओं से पहाड़ी बोली में बातचीत करने की अपील।
डी० पी० रावत।
आनी,13 जून।
हिमाचल प्रदेश के ज़िला कुल्लू के तहसील आनी के अन्तर्गत कोठी सीरीगढ़ के तहत फाटी जाबण में कुछ मेले या तो पूरी तरह लुप्तप्राय: हो चुके हैं या खत्म होने के कगार पर हैं।
 जाबण क्षेत्र के ढमौहर गांव के क़रीब अस्सी वर्षीय वृद्ध भाग चन्द ने ए० बी० डी० न्यूज़ वैब टी०वी० को दिए एक साक्षात्कार में यह बात कही।
उन्होंने बताया कि पुनण नामक स्थान में देवता की सौह में आनी क्षेत्र के प्रमुख देवता शमश्री महादेव और देऊरी नाग के सानिध्य में एक दिवसीय मेला पुनण शाड़नू मनाया जाता रहा है।
इसके अलावा टिप्पलदड़ शाड़नू और बीस शौऊज जातर मेले स्थानीय देवता देऊरी नाग के सम्मान में आयोजित होते रहे हैं। 
ये मेले भी क़रीब बीस पच्चीस सालों से नहीं अयोजित नहीं हो सके हैं। 
उन्होंने बताया कि टिपलदड़ में मेला स्थल पर अब राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का भवन एवम् परिसर बन चुका है।
इसके अतिरिक्त क्षेत्र अधिष्ठात्री देवी पछला मन्दिर परिसर में बूढ़ी दिवाली मेला देऊरी की रात्रि में सिर्फ़ कई वर्षों से औपचारिकता निभाई जा रही है और दैनिक मेला बन्द है।

 इन मेलों में चोड़ा कलगी पारंपरिक परिधानों में सजकर स्त्री पुरुष इक्कठे मिलकर सामूहिक नृत्य "नाटी" किया जाता था। उन्होंने कहा कि यह मेला लगभग पिछले पचास सालों से बन्द है।
उन्होंने युवाओं में पहाड़ी बोली को आम बोलचाल में प्रयुक्त न करने पर चिन्ता ज़ाहिर की है।

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