हर साल 25 जुलाई को ‘वर्ल्ड आईवीएफ डे’ मनाया जाता है—वो ऐतिहासिक दिन जब 1978 में दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी लुई ब्राउन का जन्म हुआ था। ...
हर साल 25 जुलाई को ‘वर्ल्ड आईवीएफ डे’ मनाया जाता है—वो ऐतिहासिक दिन जब 1978 में दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी लुई ब्राउन का जन्म हुआ था। इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) की इस तकनीक ने प्रजनन चिकित्सा के क्षेत्र में नई क्रांति की शुरुआत की। यह दिन न सिर्फ मेडिकल साइंस की बड़ी उपलब्धियों का प्रतीक है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे फर्टिलिटी हेल्थ को लेकर समाज में सोच बदल रही है।
इस मौके पर आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसी प्रक्रिया की, जो अब पुरुषों में भी फ्यूचर फैमिली प्लानिंग का अहम हिस्सा बनती जा रही है—स्पर्म फ्रीजिंग।
क्या है स्पर्म फ्रीजिंग?
स्पर्म फ्रीजिंग यानी वीर्य संरक्षण एक ऐसी मेडिकल प्रक्रिया है जिसमें पुरुष के सीमेन सैंपल को -196 डिग्री सेल्सियस पर लिक्विड नाइट्रोजन में संरक्षित किया जाता है। यह स्पर्म सालों तक सुरक्षित रखा जा सकता है और ज़रूरत पड़ने पर IVF या IUI जैसे उपचार में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
क्यों बढ़ रही है इसकी डिमांड?
फर्टिलिटी एक्सपर्ट्स के मुताबिक, स्पर्म फ्रीजिंग की मांग आज कई वजहों से तेज़ी से बढ़ रही है:
कैंसर ट्रीटमेंट या सर्जरी से पहले
गिरते स्पर्म काउंट की समस्या
करियर प्राथमिकता और लेट मैरिज ट्रेंड
हाई रिस्क प्रोफेशन (जैसे आर्मी, पुलिस आदि)
बायोलॉजिकल क्लॉक की चिंता और भविष्य की अनिश्चितता
विशेषज्ञों का मानना है कि 20 से 35 वर्ष की उम्र में स्पर्म की गुणवत्ता सर्वोत्तम होती है। ऐसे में इस उम्र में फ्रीजिंग भविष्य के लिए बेहतर रिजल्ट दे सकती है।
कैसे की जाती है प्रक्रिया?
1. सीमेन सैंपल कलेक्शन
2. लैब में उसकी गुणवत्ता, गतिशीलता और संख्या की जांच
3. हेल्दी स्पर्म को एक प्रोटेक्टिव फ्लूड के साथ मिलाकर फ्रीज करना
4. स्पेशल क्रायो टैंक में 5 से 20 वर्षों तक सुरक्षित रखना
5. जरूरत पड़ने पर स्पर्म को डिफ्रॉस्ट कर इलाज में इस्तेमाल करना
मिथक बनाम हकीकत
मिथक: फ्रीज किया स्पर्म असरदार नहीं होता
हकीकत: सालों बाद भी गुणवत्ता में कोई फर्क नहीं आता
मिथक: ये सिर्फ बीमार लोगों के लिए है
हकीकत: पूरी तरह स्वस्थ पुरुष भी फैमिली प्लानिंग के लिए यह प्रक्रिया करा सकते हैं
मिथक: उम्रदराज पुरुषों के लिए फायदेमंद नहीं
हकीकत: उम्र बढ़ने पर गुणवत्ता घट सकती है, पर प्रक्रिया सभी उम्र में मुमकिन है
कितना आता है खर्च?
प्रारंभिक जांच: ₹5,000 तक
फ्रीजिंग प्रक्रिया: ₹8,000 – ₹15,000
सालाना स्टोरेज फीस: ₹10,000 तक
डिफ्रॉस्टिंग/यूजिंग चार्ज: ₹5,000 के आस-पास
आज यह सुविधा भारत के कई शहरी इलाकों में आसानी से उपलब्ध है, और खर्च भी अन्य फर्टिलिटी तकनीकों की तुलना में नियंत्रित है।
क्या रखें ध्यान?
स्पर्म फ्रीजिंग का फैसला पूरी तरह व्यक्तिगत और मेडिकल स्थिति पर निर्भर करता है। इसलिए यह ज़रूरी है कि प्रक्रिया शुरू करने से पहले एक योग्य फर्टिलिटी एक्सपर्ट से सलाह ली जाए।
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