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🔷 पंचायती राज में युवाओं को प्रतिनिधित्व देने की मांग तेज

सुरेश कुमार उतर सकते हैं जिला परिषद सदस्य की दौड़ में, समाजसेवा से राजनीति तक का सफर 📍 निरमण्ड (7 जुलाई)। डी. पी. रावत निरमण्ड खंड की पोशन...





सुरेश कुमार उतर सकते हैं जिला परिषद सदस्य की दौड़ में, समाजसेवा से राजनीति तक का सफर


📍 निरमण्ड (7 जुलाई)। डी. पी. रावत


निरमण्ड खंड की पोशना पंचायत के सक्रिय युवा समाजसेवी सुरेश कुमार ने पंचायती राज संस्थाओं में युवाओं को अधिक अवसर देने की पुरज़ोर मांग उठाई है। उन्होंने इस संबंध में स्थानीय विधायक लोकेंद्र कुमार से मुलाकात कर कहा कि "जमीनी स्तर पर बदलाव तभी संभव है जब युवा नेतृत्व सामने आए।"


सुरेश कुमार ने इशारा दिया है कि यदि युवाओं को प्रतिनिधित्व का मौका मिलता है तो वे जिला परिषद सदस्य जैसे अहम पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं।




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सामाजिक चुनौतियों से निपटने में युवाओं की भूमिका को बताया अहम


सुरेश कुमार का मानना है कि नशा, बेरोजगारी और अपराध जैसी सामाजिक चुनौतियों से निपटने के लिए युवाओं को प्रशासनिक तंत्र में भागीदारी मिलनी चाहिए। उनका कहना है कि युवा ऊर्जा को सही दिशा में लगाकर जनसेवा को मजबूत किया जा सकता है।


> “समाज को नई दिशा देने के लिए युवाओं को आगे आना होगा। नशा, बेरोजगारी और अपराध से निपटने के लिए युवा ऊर्जा को जनसेवा से जोड़ना समय की मांग है,” — सुरेश कुमार






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समाजसेवा में वर्षों से सक्रिय, युवाओं और महिलाओं के साथ जुड़ाव मजबूत


सुरेश कुमार वर्तमान में तहसील कार्यालय परिसर, निरमण्ड में डॉक्यूमेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। वह कई सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़े हैं और पिछले कई वर्षों से क्षेत्र में महिला मंडलों और युवा समूहों के साथ मिलकर सक्रियता से जनहित में कार्य कर रहे हैं।


पूर्व में वह ग्राम पंचायत पोशना के उप-प्रधान रह चुके हैं और युवक मंडल चकलोट के प्रधान के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें विभिन्न मंचों पर सम्मानित भी किया जा चुका है।




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स्थायी कार्यालय खोलने की तैयारी, राजनीतिक सफर की शुरुआत संभव


सूत्रों के अनुसार, सुरेश कुमार जल्द ही निरमण्ड क्षेत्र में एक स्थायी कार्यालय खोलने की योजना बना रहे हैं, जहां आम जनता को जनकल्याणकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारी और मार्गदर्शन दिया जाएगा। यह कार्यालय युवाओं और ग्रामीणों के लिए संवाद और सहयोग का एक नया मंच बन सकता है।


क्षेत्र में उनकी बढ़ती सक्रियता और युवाओं में लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें स्थानीय राजनीति में एक संभावित मजबूत चेहरा माना जा रहा है।





> सुरेश कुमार जैसे युवा समाजसेवी यदि पंचायती राजनीति में सक्रिय होते हैं तो यह ग्रामीण राजनीति को नई ऊर्जा और दिशा देने की शुरुआत मानी जा सकती है।






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