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उपायुक्त कुल्लू आशुतोष गर्ग की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई जिला बाल संरक्षण समिति की त्रैमासिक बैठक।

बच्चों को भिक्षावृति के लिये बाध्य करना और उन्हें आजीविका के नाम पर इस धंधे में धकेलना काननून अपराध है और ऐसे अभिभावकों के खिलाफ सख्त कानूनी...

बच्चों को भिक्षावृति के लिये बाध्य करना और उन्हें आजीविका के नाम पर इस धंधे में धकेलना काननून अपराध है और ऐसे अभिभावकों के खिलाफ सख्त कानूनी कारवाई की जाएगी। उपायुक्त कुल्लू आशुतोष गर्ग ने बात यह जिला बाल सरंक्षण समिति की त्रैमासिक बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। बैठक में अवगत करवाया गया कि स्लमज़ में रहने वाले बच्चों को अक्सर शहर में भिक्षा में संलिप्त देखा जा सकता है और विशेषकर मेले व त्यौहारों के दौरान इनकी संख्या में अचानक से बढोतरी देखी जा सकती है। जिससे आम जनमानस को असुविधा होती है और समाज पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। उपायुक्त ने कहा कि अस्थाई बस्तियों में अभिभावकों को इस बारे जागरूक करने के लिए समय-समय पर शिविर लगाए जाने चाहिए। इसके बावजूद अगर कोई अभिभावक अपने बच्चों को शहर में भिक्षा मांगने के लिए बाध्य करता है अथवा भेजता है तो उनके खिलाफ कड़ी कारवाई की जाएगी।
उपायुक्त ने बाल गृह कलैहली के नए भवन के लिए कुल्लू के आस-पास दो बीघा जमीन उपलब्ध करवाने के लिए तहसीलदार को कहा। उन्होंने ऐसे बच्चों की सूची उपलब्ध करवाने को जिला बाल सरंक्षण अधिकारी तथा जिला कार्यक्रम अधिकारी को कहा जो कोविड-19 के कारण अथवा अन्य कारण से अनाथ हो गए है।  
जिला बाल सरंक्षण अधिकारी ऊमा शर्मा ने अवगत करवाया कि वर्तमान में जिला में कुल तीन बाल-बालिका गृह संचालित किए जा रहे हैं। बाल आश्रम कलैहली में 50 बच्चों की क्षमता है जिसमें वर्तमान में 12 बच्चे हैं और इनमें पांच के माता-पिता जीवित हैं। दर-उल-फजल शुरू मनाली में 80 बच्चों की क्षमता है जिसमें वर्तमान में 24 लड़के व 25 लड़कियां हैं और 12 के माता-पिता जीवित हैं। चन्द्र आभा मैमोरियल स्कूल फार ब्लाइंड सरवरी की क्षमता 35 बच्चों की है और इसमें 32 लड़के-लड़कियां हैं। उन्होंने कहा कि समय-समय पर अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी तथा समिति द्वारा बाल आश्रमों का निरीक्षण किया जा रहा है। साथ ही बच्चों के स्वास्थ्य की जांच भी समय -समय पर की जा रही है। कोविड प्रोटोकोल का पूरी तरह से इन आश्रमों में पालन सुनिश्चित किया जा रहा है।
बाल सरंक्षण अधिकारी ने अवगत करवाया कि अनाथ व असहाय बच्चों को बाल-बालिका सुरक्षा योजना के तहत वित्तीय लाभ प्रदान किया जाता है। इन बालकों को अप्रैल से सितम्बर 2021 तक अर्ध वार्षिक राशि के तौर पर 13.83 लाख रुपये वितरित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि आफटर केयर योजना के अंतर्गत तीन बालकों को आईटीआई में प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। इसके अलावा, विभिन्न अन्य मामलों में 17 बच्चों को 6.22 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।
इस बैठक में उपनिदेशक उच्च शिक्षा शांति लाल शर्मा, प्रारंभिक शिक्षा सुरजीत राव, मित्रिदेव तहसीलदार, जिला कार्यक्रम अधिकारी, चाईल्ड हेल्पलाईन से शालिनी वत्स, बाल कल्याण समिति के सदस्यों में छेरिंग डोलमा, पुष्पा व टशी नोरबू सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे ।

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