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एक दिन राहत, अगले चार दिन फिर येलो अलर्ट;प्रदेश में 696 सड़कें, 1,052 बिजली के ट्रांसफार्मर और 370 पेयजल योजनाएं ठप।

24 जुलाई।   वर्तमान में राज्य में 696 सड़कें, 1,052 बिजली के ट्रांसफार्मर और 370 पेयजल योजनाएं ठप हैं। मनाली-कुल्लू राष्ट्रीय राजमार्ग क्लाथ...



24 जुलाई। 

 वर्तमान में राज्य में 696 सड़कें, 1,052 बिजली के ट्रांसफार्मर और 370 पेयजल योजनाएं ठप हैं। मनाली-कुल्लू राष्ट्रीय राजमार्ग क्लाथ तक मरम्मत की गई है। अब कुल्लू से मनाली तक सिर्फ आठ किमी की सड़क को फिर से बनाने का काम बाकी है। रविवार को हिमाचल प्रदेश में बारिश थमने से कुछ राहत मिली, लेकिन अगले चार दिन बादल बरसेंगे। 27 जुलाई तक येलो अलर्ट जारी रहेगा। 29 तक मौसम खराब रहेगा। इससे स्थिति बदतर होगी। पिछले दिनों खराब मौसम के कारण जिला कुल्लू सहित राज्य के कई हिस्सों में जनजीवन अभी भी पटरी पर नहीं आया है। कई स्थानों में बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित है।

वर्तमान में राज्य में 696 सड़कें, 1,052 बिजली के ट्रांसफार्मर और 370 पेयजल योजनाएं ठप हैं। मनाली-कुल्लू राष्ट्रीय राजमार्ग क्लाथ तक मरम्मत की गई है। अब कुल्लू से मनाली तक सिर्फ आठ किमी की सड़क को फिर से शुरू करना है। हालाँकि, शिमला से डलहौजी-पठानकोट और किन्नौर राष्ट्रीय राजमार्ग फिर से चालू हो गए हैं। रविवार को शिमला जिले के अलावा मंडी, सुंदरनगर, बल्ह, नाचन, सराज और धर्मपुर में हल्की वर्षा हुई। कुल्लू में धूप की रोशनी ने लोगों को राहत दी। शनिवार रात को भूतनाथ पुल के पास एक भूस्खलन ने पेट्रोल पंप को क्षति पहुंचा है।

16 जुलाई से 22 जुलाई तक, हिमाचल प्रदेशवासी, सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं ने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत कोष-2023 में 16.50 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी है। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी है। उनका कहना था कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सभी उपायुक्तों को राहत कार्यों के लिए 188.50 करोड़ रुपये की अनुमति दी है।

शुरूआती आकलन के अनुसार, राज्य को आपदा से लगभग आठ हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने उदाहरण के रूप में प्रभावित लोगों को सम्मानजनक धनराशि देने का ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए धनराशि को कई गुणा बढ़ा दिया है। तत्काल मदद के लिए एक लाख रुपये देने का ऐलान किया है। दारचा-शिंकुला मार्ग अभी नेशनल हाईवे-505 ग्रांफू से काजा वाहनों के लिए बंद है। दूसरे दिन भी कुल्लू में ब्यास नदी में गिरी पंजाब रोडवेज की बस को बाहर नहीं निकाला जा सका। IMMD के उपनिदेशक ने बताया कि पिछले 24 घंटों में कई इलाकों में भारी बारिश हुई है। रविवार को धौलाकुआं में सबसे कम तापमान 29.9 डिग्री सेल्सियस था, जबकि भरमौर में सबसे कम 10 डिग्री सेल्सियस था।

रविवार को, मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने राहत कार्यों पर चर्चा की और अपडेट लेते रहे।  मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी आवास ओकओवर में एक मंत्री बुला लिया। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू  ने मंत्रियों को बताया कि सेब की फसल को मंडियों तक पहुंचाने में कोई समस्या नहीं है। साथ ही, उन्होंने अधिकारियों को इस बारे में निर्देश देने को कहा। साथ ही, संपर्क सड़कों की शीघ्र पुनर्निर्माण के आदेश दिए गए। इस दौरान उद्योग मंत्री हर्षवर्धन, बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने भी मंत्रियों से उनके अपने-अपने कार्यों पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने भी फल मंडियों में हुई बहस पर चर्चा की। कैबिनेट बैठक में अपने दायित्वों से संबंधित महत्वपूर्ण एजेंडे प्रस्तुत करने के लिए कहा सीएम ने मंत्रियों से कैबिनेट बैठक में अपने महकमों से संबंधित प्रमुख एजेंडे प्रस्तुत करने को कहा है। 25 जुलाई को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई गई है। 

हिमाचल प्रदेश में हुए नुकसान का आकलन करने वाली केंद्रीय टीम वापस आ गई है। प्रारंभिक आकलन के अनुसार, अब तक 5115.83 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। हालाँकि, जिलों से हुए नुकसान की व्यापक रिपोर्टें आती रहती हैं। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि कुल नुकसान आठ हजार करोड़ से अधिक होगा।सोमवार को टीम सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी। प्रदेश में आपदा से हुए नुकसान पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू भी गृह मंत्री अमित शाह से मिलेंगे, ऐसा बताया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में आपदा से भारी क्षति हुई है। सरकार चाहती है कि आपदा से हुए नुकसान की भरपाई के लिए जल्द ही राहत राशि की पहली किस्त दी जाए।लोक निर्माण विभाग को जलप्रलय से सबसे अधिक नुकसान हुआ है। विभाग ने अब तक 1666.58 करोड़ रुपये का नुकसान बताया है। वहीं, अब तक जल शक्ति विभाग को 1475.69 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। अन्य क्षेत्रों को भी भारी नुकसान हुआ है। बाढ़ ने 158 लोगों को मार डाला। 606 घर गिर गए और 5363 घर क्षतिग्रस्त हुए। 1648 गोशलाएं भी गिरने से सैकड़ों जानवर मर गए हैं। 




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