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विधानसभा में जयललिता पर हुए हमले को सीएम स्टालिन ने नकारा, जानिए क्या है पूरा मामला ?

13 अगस्त ।     डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने केंद्रीय वित्त मंत्री के उस बयान पर सवाल उठाए हैं, जिसमें वित्त मंत्री ने ...



13 अगस्त 

 डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने केंद्रीय वित्त मंत्री के उस बयान पर सवाल उठाए हैं, जिसमें वित्त मंत्री ने दिवंगत सीएम जे जयललिता पर साल 1989 में तमिलनाडु विधानसभा में हुए कथित हमले का आरोप लगाया था। संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह बात कही थी। वहीं डीएमके के आरोपों को खारिज करने पर जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके के नेता पलानीस्वामी ने नाराजगी जाहिर की है और वित्त मंत्री के बयानों को सही ठहराया है।

तमिलनाडु के सीएम और डीएमके नेता एमके स्टालिन ने एक अखबार को इंटरव्यू दिया। इस दौरान वित्त मंत्री के संसद में दिए गए बयान पर उनसे सवाल किया गया। मुख्यमंत्री ने वित्त मंत्री के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि 'सदन में जयललिता के साथ ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी। विधानसभा में उपस्थित सभी को पता था कि जयललिता ने खुद को धोखा दिया था।डीएमके ने स्टालिन को सीएम के बयान के बाद बताया कि सीतारमण ने वॉट्सएप यूनिवर्सिटी का हवाला दिया था। स्टालिन ने वित्त मंत्री की घोषणा को असफल बताया।

स्टालिन के बयान के बाद, जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके के नेता पलानीस्वामी ने कहा कि घटना के वक्त वह खुद सदन में मौजूद थे और जयललिता पर तत्कालीन सीएम करुणानिधि की मौजूदगी में हमला हुआ था। पलानीस्वामी ने कहा, "अम्मा (जयललिता) उस वक्त विपक्ष की नेता थीं और बतौर विधायक मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला।" जयललिता पर हमले के समय मैं सदन में था और मैं विपक्ष की नेता था। पलानीस्वामी ने कहा कि घटना पूरी तरह से छापी गई थी। डीएमके सरकार के विधायकों और मंत्रियों ने अम्मा पर हमला किया था। उस समय जयललिता की साड़ी एक वरिष्ठ मंत्री ने खींची थी, जबकि उनके बाल एक दूसरे मंत्री ने खींचे थे। यह सदन के इतिहास में एक दर्दनाक दिन था, और आज मुख्यमंत्री उस घटना को कमतर बता रहे हैं।"

अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान बोलते हुए डीएमके सांसद कनिमोझी ने मणिपुर के मुद्दे पर सरकार को घेरा था, जिसका जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सदन एक पवित्र जगह होती है, जहां विपक्ष की नेता जयललिता की साड़ी खींची गई। डीएमके के सदस्यों ने उनसे बदसलूकी की, उन पर हंसे और उनका मजाक उड़ाया। जो लोग उस वक्त सत्ता में थे और जिनकी मौजूदगी में ये सब हुआ, वो आज द्रौपदी की बात करते हैं।

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