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हिमाचल में हांफ रही एचआरटीसी की बसें, मैन पावर कम होने से नहीं हो रही गाडिय़ों की मरम्मत

हिमाचल प्रदेश में एचआरटीसी की बसें हांफती नजर आ रही हैं। प्रदेश में लगभग 3132 बसें 3719 रूट पर चलती हैं। इन बसों में से 50 प्रतिशत बसें हांफ...

हिमाचल प्रदेश में एचआरटीसी की बसें हांफती नजर आ रही हैं। प्रदेश में लगभग 3132 बसें 3719 रूट पर चलती हैं। इन बसों में से 50 प्रतिशत बसें हांफ चुकी हैं। कुछ बसें वर्कशॉप में मैकेनिक न होने के कारण धूल फांक रही हैं, तो कुछ बसें आधे रास्तों में ही खराब पड़ी हैं। इन खराब बसों के कारण सबसे ज्यादा परेशनियों का सामना यात्रियों को करना पड़ रहा है। रूट पर चली ये बसें कहीं भी बीच रास्ते में खराब हो जाती हैं, जिसके बाद या तो बस सवारियों को पैदल घर जाना पड़ता है या फिर वापस डिपो से बस बुलाई जाती है, जिसे आने में वापस उतना ही समय लग जाता है। वहीं समय की बर्बादी भी यात्रियों को झेलनी पड़ती है। चालक-परिचालक ों को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। चालक जान की बाजी लगाकर बसों को चलाते हैं। बसों की हालत खस्ता होने के कारण बसों के पुर्जे भी ठीक से कार्य नहीं कर पाते हैं, जिससे कई प्रकार की दुर्घटनाएं भी घट चुकी हैं। ताजा मामले में मंडी डिपो की इलेक्ट्रिकल बस में ब्रेक की खराबी होने के कारण बस स्टैंड में ही बस दुर्घटनाग्रस्त होने से बची, परंतु परिवहन विभाग इस पर कुछ खासा ध्यान नहीं दे पा रहा है। यह समस्या पिछले लंबे समय से जस की तस बनी हुई है। हिमाचल में हाल ही इलेक्ट्रिकल बसें भी चलाई गई, परंतु ये बसें भी हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में सफल नहीं हो पाई हैं। मंडी डिपो में ही 30 बसों में से तीन बसें रूट पर खराबी के कारण खड़ी हैं। वहीं कुछ बसें वर्कशॉप में रिपेयर के लिए खड़ी हैं। बसें कम और रूट ज्यादा होने के कारण समय की भी बर्बादी हो रही है। यातायात प्रबधंक पवन गुलेरिया मंडी ने बताया कि मैन पावर न होने से पेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वर्कशॉप में स्टाफ की कमी होने के कारण बसों की मेंटेनेस ठीक से नहीं हो पा रही है। कुछ बसें रूट पर, तो कुछ वर्कशॉप में खड़ी हैं। रूट प्रभावित न हो, इसलिए दूसरी बसों को रूट पर भेजा जा रहा है।

जेएनएनयूआरएम बसों के नहीं मिल रहे स्पेयर पाट्र्स

जेएनएनयूआरएम बसों के स्पेयर पार्टस न मिलने से अधिक परेशानियों विभाग को आ रही हैं। हाल ही में नीले रंग की जेएनएनयूआरएम बसों को हिमाचल में चलाया गया था, परंतु इन बसों में से 80 प्रतिशत बसें अब खराब पड़ी हैं, जिनके स्पेयर पाट्र्स नहीं मिल रहे हैं।

पठानकोट-मनाली सेवाएं सबसे कमजोर

पठानकोट डिपो की पठानकोट से मनाली रूट की सेवाएं इस समय खस्ताहाल में हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण रूट पर राजनीति इतनी हावी है कि सबसे खटारा बसें यहां भेजी जा रही हैं। शुक्रवार को भी मनाली से सुबह पांच बजे चलने वाली बस रास्ते में ही खड़ी हो गई।



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