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पृथ्वी के पास से गुजरे क्षुद्रग्रह के साथ नजर आता उसका चांद, तस्वीरें देखकर नासा के वैज्ञानिक हुए हैरान

  पृथ्वी के पास से गुजरे क्षुद्रग्रह के साथ नजर आता उसका चांद, तस्वीरें देखकर नासा के वैज्ञानिक हुए हैरान Space News:  नासा के गोल्डस्टोन प्...

 पृथ्वी के पास से गुजरे क्षुद्रग्रह के साथ नजर आता उसका चांद, तस्वीरें देखकर नासा के वैज्ञानिक हुए हैरान




Space News: नासा के गोल्डस्टोन प्लैनेटरी रडार सिस्टम ने हाल ही में दो क्षुद्रग्रहों (क्षुद्रग्रह 2024 एमके और 2011 यूएल21) को हमारी पृथ्वी के पास से गुजरते हुए रिकॉर्ड किया है। इसकी जो तस्वीरें सामने आई हैं, वो बेहद हैरान करने वाली हैं। क्षुद्रग्रह 2011 यूएल21 27 जून को पृथ्वी से करीब 66 लाख किलोमीटर दूर से गुजरा।

ये पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी का करीब 17 गुना है। शोधकर्ताओं ने सबसे पहले इस क्षुद्रग्रह की खोज 2011 में एरिजोना के टक्सन में कैटालिना स्काई सर्वे का इस्तेमाल करते हुए की थी। उसके बाद पहली बार इसे जून में पृथ्वी के पास से गुजरते हुए देखा गया, जो इसकी सबसे नजदीकी तस्वीर है। हाल की तस्वीरों से पता चलता है कि इसका अपना एक चंद्रमा भी है।

वैज्ञानिकों ने माना क्षुद्रग्रह को खतरनाक 

नासा ने अपने गोल्डस्टोन सोलर रडार सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए 9 दिनों तक इस पर नजर रखी। इस दौरान नासा ने बताया कि क्षुद्रग्रह लगभग गोलाकार है और इसका एक साथी भी है, जिसे बाइनरी सिस्टम कहते हैं। यानी इसका एक छोटा चंद्रमा है, जो 3 किलोमीटर की दूरी पर परिक्रमा कर रहा है। वैज्ञानिकों ने इस क्षुद्रग्रह को खतरनाक माना है, जिसका मतलब है कि भविष्य में इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना है।

टकराव की संभावना कम 

हालांकि, खगोलविदों को नहीं लगता कि निकट भविष्य में इससे कोई खतरा पैदा होगा। इसके भविष्य की कक्षाओं के अध्ययन से पता चलता है कि यह पृथ्वी के बहुत करीब नहीं आएगा। लेकिन खगोलविदों को कभी-कभी यह पता नहीं चलता कि कोई क्षुद्रग्रह ऐसी कक्षा में है जो उसे पृथ्वी के करीब ले जाती है, जब तक कि वह पृथ्वी के करीब न आ जाए। यह अनिश्चितता ही मुख्य कारण है कि नासा हमारी दुनिया के सबसे करीब आने वाले क्षुद्रग्रहों को बेहतर ढंग से समझने की कोशिश कर रहा है।

दक्षिणी कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) के प्रमुख वैज्ञानिक लांस बेनर ने कहा कि इस आकार के लगभग दो-तिहाई क्षुद्रग्रहों में बाइनरी सिस्टम होने का अनुमान है। इसकी खोज इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हम उनकी सापेक्ष स्थिति के माप का उपयोग उनकी पारस्परिक कक्षाओं, द्रव्यमान और घनत्व का अनुमान लगाने के लिए कर सकते हैं। इससे उनके निर्माण के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी।









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