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घोसला बनाना भूल रही चिड़िया, कृत्रिम आशियानों से पक्षियों के व्यवहार में हो रहा है बदलाव

  घोसला बनाना भूल रही चिड़िया  कृत्रिम आशियानों से पक्षियों के व्यवहार में हो रहा है बदलाव प्रतापगढ़ 01 नवंबर 2024 मयंक शेखर मिश्रा जिला संवा...

 घोसला बनाना भूल रही चिड़िया 

कृत्रिम आशियानों से पक्षियों के व्यवहार में हो रहा है बदलाव


प्रतापगढ़ 01 नवंबर 2024

मयंक शेखर मिश्रा जिला संवाददाता

अखंड भारत दर्पण न्यूज प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश

अगर आपको लग रहा है कि चिड़ियों को कृत्रिम घोसले बनाकर उन्हें भोजन दे रहे हैं तो आप बिल्कुल गलत सोच रहे हैं। मनुष्य की इस आदत से चिड़ियों का व्यवहार बदल रहा है। मनुष्य की मदद करने की आदत ने चिड़ियों को आलसी बना दिया है। इससे वह तिनका चुगकर घोंसला बनाना और भोजना खोजना भूल रही हैं। अगर ऐसा ही रहा तो एक दिन चिड़ियों के जीवन.में संकट पैदा हो जाएगा। 

वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत पक्षियों को संरक्षित किया गया है 

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत संरक्षित किया गया है। इसमें पक्षियों को खरीदना और पालना पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है। हालांकि कई लोग पक्षियों की मदद के लिए उन्हें आवास उपलब्ध कराने के लिए घरों की छतों पर कृत्रिम घोंसले लगा रहे हैं। ये भारत में पाए जाने वाले सभी पक्षियों उसी तरह बने होते हैं, जैसे किसी पक्षी ने बनाया है। अक्सर देखा जा रहा है कि

• मुनष्य के आसपास रहने वाली गौरेया, मैना सहित कई चिड़ियाएं कृत्रिम घोंसलों में रह रही हैं।

मुनष्य घरों के आसपास आने वाली चिड़ियाओं को चावल, गेहूं, रोटी के टुकड़े और दाल खिलाते हैं। इससे चिड़िया आलसी बन रही हैं, उसे घर बनाने और खाने के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ रहा है। बिना मेहनत के सब कुछ मिल रहा है। इससे वह अपने बच्चों को घोंसला बनाना, भोजन ढूंढना आदि चीजें नहीं सिखा पा रही हैं। इस कारण वह अपना काम भूल रही हैं जो अच्छे संकेत नहीं हैं। 

पक्षियों का व्यवहार बदलना प्रकृति के लिए अच्छा संकेत नहीं है। मनुष्य की मदद करने की आदत चिड़िया को उनका काम करना भुला रही है। वह अपने बच्चों को घोंसले बनाना सहित भोजन की तलाश करना नहीं सिखा पा रहीं है।

अगर कोई ऐसा करता पकड़ा जाएगा, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जीवों के लिए जंगल से सुरक्षित कोई जगह नहीं है। इससे चिड़िया आलसी बन रही हैं, उसे घर बनाने और खाने के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ रहा है। बिना मेहनत के सब कुछ मिल रहा है। इससे वह अपने बच्चों को घोंसला बनाना, भोजन ढूंढना आदि चीजें नहीं सिखा पा रही हैं। इस कारण वह अपना काम भूल रही हैं जो अच्छे संकेत नहीं हैं। पक्षियों का व्यवहार बदलना प्रकृति के लिए अच्छा संकेत नहीं है। 

मनुष्य की मदद करने की आदत चिड़िया को उनका काम करना भुला रही है। वह अपने बच्चों को घोंसले बनाना सहित भोजन की तलाश करना नहीं सिखा पा रहीं है। अगर कोई ऐसा करता पकड़ा जाएगा, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जीवों के लिए जंगल से सुरक्षित कोई जगह नहीं है। 

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