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ब्रिटिश उपनिवेशवाद की छाप को समाप्त करने के लिए जनगणना चक्र का उपयोग किया जा सकता है, जानिए 2037 की योजना क्या है।

2021 में होने वाली जनगणना लगभग चार साल पहले देरी से है। अब उम्मीद जताई जा रही है कि 2027 में यह जनगणना हो सकती है। इसके बाद अगली जनगणना 2031...

2021 में होने वाली जनगणना लगभग चार साल पहले देरी से है। अब उम्मीद जताई जा रही है कि 2027 में यह जनगणना हो सकती है। इसके बाद अगली जनगणना 2031 में होनी चाहिए। मगर केंद्र सरकार 2037 में इसे कराने पर विचार कर रही है। अगर ऐसा हुआ तो इसके बाद अगली जनगणना 2047 में होगी और इसी साल भारत की आजादी के 100 साल पूरे होंगे।
देश में 2027 तक हो सकती है जनगणना।


2031 के स्थान पर अगली जनगणना 2037 में हो सकती है।

 भारत में जनगणना की प्रक्रिया 1872 में आरंभ हुई थी। नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। हर दस वर्ष में होने वाली जनगणना की परंपरा ब्रिटिश शासन के समय की छाप को समाप्त कर सकती है। वर्तमान में, किसी भी दशक के पहले वर्ष में जनगणना कराने की परंपरा रही है। हालांकि, पहले कोरोना महामारी और फिर लोकसभा चुनाव के कारण 2021 में निर्धारित जनगणना नहीं हो सकी।

यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अब यह जनगणना 2027 में आयोजित की जा सकती है। इसके बाद, 2031 के बजाय 10 वर्ष बाद 2037 और फिर 2047 में जनगणना कराई जा सकती है। इससे जनगणना का क्रम 1947 में भारत की स्वतंत्रता के साथ समरूप हो जाएगा। 

चाणक्य के अर्थशास्त्र में भी जनगणना का उल्लेख मिलता है। 

वास्तव में, चाणक्य के अर्थशास्त्र में चंद्रगुप्त मौर्य के शासन काल में कर वसूलने और सरकारी नीतियों के कार्यान्वयन के लिए जनगणना कराने का उल्लेख किया गया है। लेकिन आधुनिक भारत में जनगणना की शुरुआत 1872 में अंग्रेजों द्वारा की गई थी, जो 1981 तक जारी रही। आजादी के पश्चात जनगणना 1951 में आयोजित की गई थी।

जनगणना चक्र में परिवर्तन की कोई योजना नहीं

सूत्रों के अनुसार, सरकार के पास जनगणना के चक्र में बदलाव की कोई योजना नहीं थी, किंतु 2020 से 2022 तक फैली कोरोना महामारी और 2024 के लोकसभा चुनाव के कारण 2021 की जनगणना को मजबूरी में स्थगित करना पड़ा। वर्तमान तैयारियों के अनुसार, यह अब 2027 में आयोजित की जा सकती है। 2027 के बाद केवल चार वर्षों के भीतर जनगणना की प्रक्रिया को पुनः दोहराने का कोई औचित्य नहीं है। इस संदर्भ में एक सुझाव है कि अगली जनगणना 2037 में आयोजित की जाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति के आह्वान के अनुरूप इसे उचित ठहराया जा रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन आगामी जनगणना के बाद इस विषय पर विचार किया जा सकता है।

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