Shane Watson, HBD: शेन वॉटसन ने 14 वर्षों तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला। लेकिन पूरे करियर के दौरान उन्हें चोट लगती रही। 2009 के एशेज में उ...
Shane Watson, HBD: शेन वॉटसन ने 14 वर्षों तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला। लेकिन पूरे करियर के दौरान उन्हें चोट लगती रही। 2009 के एशेज में उन्हें ही सलामी बल्लेबाज बनाया गया था। तब, बतौर ओपनर, उन्होंने आठ टेस्ट में सात अर्धशतक और एक शतक ठोककर इस निर्णय को सही साबित किया।
नवीन दिल्ली इस खिलाड़ी का शरीर एक एथलीट का था। फोटो शूट के लिए बना हुआ है। लेकिन बाहर से शरीर मजबूत था। ये खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय करियर में एक के बाद एक चोट से जूझते रहे। लेकिन उसके क्रिकेट प्रेम ने हर चुनौती को पार कर दिया और फिर से मैदान पर आकर अपनी टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन किया। हम ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर शेन वॉटसन की बात कर रहे हैं। वॉटसन का आज 40वां जन्मदिन है। 1981 में आज ही दिन ऑस्ट्रेलिया के क्वीसलैंड में उनका जन्म हुआ था।
वॉटसन ने ऑस्ट्रेलिया में 59 टेस्ट खेले, 190 वनडे खेले और 58 टी20 खेले। 2002 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था, लेकिन 2016 में चौबीस साल क्रिकेट खेलने के बाद खेल को अलविदा कह दिया।
अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान वॉटसन ने मांसपेशियों में खिंचाव, स्ट्रेस फ्रैक्चर, कंधे और कूल्हे की चोटों का सामना करना पड़ा। इस क्रिकेटर के शरीर में चोट लगने की संभावना बहुत कम है। इसलिए उनके करियर के शुरूआती कुछ साल असफल रहे। लेकिन चोट से बचने के लिए उन्होंने अपनी ट्रेनिंग की प्रणाली बदल दी। वेट ट्रेनिंग नहीं करते थे, बल्कि पिलाटे करने लगे। पूरी तरह से शराब पीना छोड़ दिया।
वॉटसन को सीरीज के मध्य में ओपनर बनाया गया
इससे भी वॉटसन को लाभ हुआ और 2009 में एशेज सीरीज के बीच में ही सलामी बल्लेबाज बन गए। बतौर ओपनर, उन्होंने आठ टेस्ट में सात अर्धशतक और एक शतक ठोककर इस निर्णय को सही साबित किया। इस प्रदर्शन के कारण उन्हें पिछले दो वर्षों में दो बार एलन बॉर्डर मेडल भी मिला। हालाँकि, करियर के इस मोड़ पर उन्हें एक बार फिर चोट लगी और उनका टेस्ट करियर बहुत लंबा नहीं चला। 2012 में वे टेस्ट टीम में वापस आए। लेकिन वह टीम में अपना स्थान नहीं बना पाए। उनका बल्लेबाजी क्रम निरंतर बदलता गया।
बीच दौरे के दौरान वॉटसन को घर लौटना पड़ा
एक साल बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भारत दौरा किया। दिल्ली टेस्ट में माइकल क्लार्क के चोटिल होने पर वॉटसन को टीम का कप्तान बनाया गया। वह ऑस्ट्रेलिया का 44वां कप्तान बन गया। लेकिन उनकी टीम सिर्फ तीन दिन में टेस्ट हार गई। कोच मिकी आर्थर ने इस दौरे पर उनकी बात नहीं मानने के कारण उन्हें घर भेज दिया गया। 2015 में उन्हें एशेज सीरीज की टीम में नहीं चुना गया था। बाद में टेस्ट क्रिकेट छोड़ दिया। किंतु वे वनडे और टी20 खेलते रहे।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे में खेली सबसे बड़ी पारी
वॉटसन ने वनडे और टी20 में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। वो ऑस्ट्रेलिया के लिए वनडे में सबसे बड़ी पारी खेलने वाले बल्लेबाज हैं। अप्रैल 2011 में, उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ 185 रन बनाए थे। 2012 टी20 विश्व कप में वो प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट भी रहे। 2016 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से पूरी तरह से संन्यास ले लिया था। उनके 59 टेस्टों में 35 से अधिक के औसत से 3731 रन बनाए गए। उसने टेस्ट में 75 विकेट भी लिए। वॉटसन ने भी एक वनडे में 5757 रन बनाकर 168 विकेट भी लिए। 2007 और 2015 में वे दो बार वनडे विश्व कप जीतने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम में भी थे।
वॉटसन ने आईपीएल में भी अपनी क्षमता साबित की
लंबे समय तक, शेन वॉटसन आईपीएल में भी खेलते रहे। उन्होंने राजस्थान रॉयल्स के साथ लीग की शुरुआत की और 2008 में खिताब जीतने वाली राजस्थान टीम में शामिल हुए। इसके बाद वह चेन्नई सुपर किंग्स चला गया। इस टीम में भी उनका प्रदर्शन बेहतरीन था। 2018 के आईपीएल फाइनल में उन्होंने 57 गेंद में 117 रन की पारी खेली।
अगले साल, वह फिर से सीएसके को आईपीएल के फाइनल में लाए। लेकिन विजेता नहीं बन सका। वास्तव में, चेन्नई को आईपीएल 2019 के फाइनल में मुंबई इंडियंस के खिलाफ जीत के लिए 150 रन चाहिए थे। लेकिन सीएसके एक रन से मैच हार गया और 148 रन ही बना सकी। तब वॉटसन ने घुटने में चोट लगने के बावजूद 80 रन की महत्वपूर्ण पारी खेली। लेकिन वह रन आउट होने के कारण सीएसके को खिताब नहीं दिला पाए।News source
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