सिनेमा----------------संगीतकार रोबिन बनर्जी।

 


पारो शैवलिनी से संगीतकार की बातचीत के कुछ अंश।  

हिंदी और बंगला सिनेजगत पर समान रूप से काबिज रहे वज़ीरे-आजम संगीतकार रोबिन बनर्जी मात्र 15 साल की उम्र में कलकत्ता(अब कोलकाता) से बम्बई भाग कर आये थे।हालांकि,छः-सात साल की उम्र से ही ये गीत संगीत की दुनिया में रमे हुए थे।यों तो,रोबिन बनर्जी गायक बनने के लिए बंबई आये थे।मगर, किस्मत ने उन्हें संगीतकार बना दिया।ये ऐसे संगीतकार थे जो बगैर हारमोनियम के स्वरलिपि लिखने में माहिर थे।         


 

बंबई प्रवास के दौरान वो हेमन्त गुप्ता के घर में रहते थे।हेमंत गुप्ता ने ही संगीतकार को भेंट स्वरूप एक हारमोनियम दिया। सबसे पहले डायरेक्टर-प्रोड्यूसर आर एस राही ने अपनी फिल्म वजीरे-आज़म में बतौर संगीतकार काम दिया।                            पहली फिल्म में ही संगीतकार ने महेन्द्र कपूर,मन्ना डे,सुमन कल्याणपुर,उषा खन्ना के साथ खुद संगीतकार रोबिन बनर्जी ने रोबिन कुमार के नाम से एक गाना गाया था।                इस बीच संगीतकार ने इन्साफ कहाँ है,मासूम,आँधी और तूफान,फिर आया तूफान,मारवेल मैन,लंदन एक्सप्रेस,स्पाई इन गोवा,राज की बात सरीखे बी-ग्रेड की स्टंट फिल्मों में संगीत दिया।          संगीतकार रोबिन बनर्जी ने सबसे ज्यादा बी जे पटेल की फिल्मों में संगीत दिया।सखि-रोबिन वो फिल्म थी जिसमें संगीतकार ने पहली बार योगेश को बतौर गीतकार हिंदी सिने जगत से परिचित करवाया।       

      


       गीतकार योगेश ने एक मुलाकात में पारो शैवलिनी को बताया,सखि-रोबिन के बाद संगीतकार ने तकरीबन पन्द्रह फिल्म साइन की।जिसमें बतौर गीतकार योगेश ने ही गीत लिखे।बाद में,गीतकार अन्जान को योगेश जी संगीतकार के पास लेकर आये।अन्जान और योगेश ने मिलकर संगीतकार के लिए कुछ गाने लिखे। कहना न होगा,संगीतकार रोबिन बनर्जी,योगेश और अंजान ने बी-ग्रेड की स्टंट फिल्मों में भी गीत-संगीत का वो इतिहास रचा जो आज भी कायम है।

विराज गांगुली के साथ अभिनय करने वाले उनके साथी कलाकार ---------------------------- देवेन्द्र शर्मा,चिनमय वारोई,शमीष्ठा सन्नमत,सजल चट्टर्जी,सोमा सिन्हा,मानस सरकार,कौशिक माइति,कौशिक दास,कल्याण मुखर्जी,प्रेयसी सन्नमत ---------------------------- बैकग्राउंड कलाकार संगीत : पिंकी बोस, सेट डायरेक्टर : अरविंद बोस मेकअप मैन : निर्मल पाल लाइटमैन : सौमित्र बनर्जी ----------------------------चित्तरंजन में सर्वप्रथम रितायन नाट्य दल,प्रवास नाट्य दल,आन्तरिक नाट्य दल के साथ काम किया । चित्तरंजन में बासंती इन्स्टीट्यूट व श्रीलता इन्स्टीट्यूट तथा हिन्दुस्तान केबेल्स में पहले मुक्तमंच फिर श्रमिक मंच पर इनके नाटक मंचित होते रहे हैं । विशेष : अन्तर्राष्ट्रीय पुस्तक मेला में प्रथम बंगला नाटक की पुस्तक तृतीया का विमोचन दो हजार पच्चीस में हुआ।



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