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75 वर्ष का हुआ चित्तरंजन रेल इन्जन कारखाना

 * अब तक तेरह हजार इन्जन देश को कर चुका है समर्पित  * वाष्प से लेकर इलेक्ट्रिक इन्जन तक के सफर को किया पूरा * 25-26 में 777 का लक्ष्य,88 हुय...


 * अब तक तेरह हजार इन्जन देश को कर चुका है समर्पित

 * वाष्प से लेकर इलेक्ट्रिक इन्जन तक के सफर को किया पूरा * 25-26 में 777 का लक्ष्य,88 हुये पूरे

* देश में नमो की सरकार ने कर दिया है बेड़ा गर्ग

 * चिरेका को बना दिया एसंबल कारखाना

 * नियुक्ति बंद कर बेच दिया है ठेकेदारों को



 * ठेकेदार चला रहे हैं यहाँ के अस्पताल और केण्टिन, बंद कर दिया गया है स्टील फाउण्ड्री, 

* हरियाली के नाम पर हो रही है पार्थेनियम की खेती,

 * सामुदायिकन भवनों,सिनेमा हाल को बंद कर मनोरंजन के नाम पर उससे भी की जा रही है उगाही

 * यहाँ दो पार्क हैं चिल्ड्रेन पार्क और वोटिंग क्लब जहाँ नौकायन के लिए भी पैसा लिया जाता है


 * चित्तरंजन के आठों एरिया में आठ बाजार हैं जिस पर अतिक्रमण के नाम पर बुलडोजर चलवाया जा चुका है 

* के जी अस्पताल में भर्ती होने से यहाँ के कर्मी भी कतराते हैं * पलास्टर तक के लिए भेज दिया जाता है दुर्गापुर के मिशन अस्पताल में 

 * यहाँ के सरकारी सभी प्राइमरी स्कूल को बंद कर उसे हाई स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया है और नि:शुल्क पुस्तकें,साईकिल आदि भी वितरित नहीं किये जाते हैं कहने का तात्पर्य यह कि सरकार और सरकारी के नाम पर यहाँ कुछ भी नहीं है 

 * कई बार चिरेका को उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए भारतीय रेलवे से बेस्ट प्रोडक्शन यूनिट का शील्ड 2024 में भी मिल चुका है जबकि सही तो ये होगा कि चिरेका को बेस्ट प्रोडक्शन यूनिट की जगह बेस्ट ऐसंबल यूनिट का शील्ड मिलना चाहिए और अंत में यहाँ के पीआरओ चित्रसेन मंडल के गोरखधंधा का जिक्र किये बगैर चिरेका का गुणगान पूरा नहीं हो सकता 

* पत्रकारों को सादर आमंत्रित किया जाता है महाप्रबंधक से मिलवाने का मगर मिलवाते हैं महाप्रबंधक के सहायक से,अपने मनपसंद के पत्रकारों को ही बुलवाते हैं वो भी टुकड़ो में कभी उन्होंने पत्रकार सुरक्षा संघ ट्रस्ट के पश्चिम बंगाल प्रदेश प्रभारी प्रह्लाद प्रसाद को आमंत्रित नहीं किया।वजह,तीखे तेवर वाले एकमात्र हिंदी के पत्रकार हैं वो,शायद इसलिए।धनबाद से प्रकाशित दैनिक भास्कर में चित्तरंजन के तमाम समाचार पारो शैवलिनी भेजा करते हैं,मगर नाम काजल राय चौधरी का होता है। बैठक में शशि कमिश्रा खुद को भास्कर का ब्यूरो कहता है जबकि शशि कुमार चुप्पी साधे रहते हैं।

 @ चित्तरंजन की सच्चाई पारो शैवलिनी की कलम से

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