अतीत के पन्नों से ----------------------- पारो शैवलिनी की कलम से चित्तरंजन रेल इन्जन कारखाना पूरे देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व में एक अत...
अतीत के पन्नों से
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पारो शैवलिनी की कलम से
चित्तरंजन रेल इन्जन कारखाना पूरे देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व में एक अति लोकप्रिय कारखाना है,जिसे देश की आजादी के बाद शुरू किया गया था।1950 में पहला बाष्प इन्जन तैयार किया गया।पचास से साठ के बीच डीजल और इलेक्ट्रिक इन्जन का निर्माण चिरेका के रेल कर्मियों ने पूरी दक्षता के साथ किया। इसी दौरान 1961 मे पहला इलेक्ट्रिक इन्जन देश को समर्पित करने के लिए भारतवर्ष के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू उन्नीस सौ एकसठ के चौदह अक्टूबर को चित्तरंजन रेल इन्जन कारखाना में आकर देश को समर्पित किया। ये फोटो उसी समय का है।
उल्लेखनीय है,1951 से लेकर दो हजार तेरह तक रेल मंत्रालय ने चित्तरंजन रेल इन्जन कारखाना को बेस्ट प्रोडक्शन यूनिट का शील्ड मिलता रहा है।सूत्रों का कहना है कि दो हजार चौदह के बाद केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार में चितरंजन रेल इंजन कारखाना उपेक्षा का शिकार हुआ। मोदी सरकार और गोदी मीडिया के साथ पूरे विश्व में अति महत्वपूर्ण इस चित्तरंजन रेल इन्जन कारखाना भी प्रोडक्शन यूनिट से एकाएक एसेम्बलिग यूनिट बनकर रह गया है।मगर, आज भी इसे बेस्ट प्रोडक्शन यूनिट का शील्ड मिलता रहता है। जो मेरे हिसाब से ठीक नहीं है।
एक समय यहाँ सोलह हजार से भी अधिक रेल कर्मी थे।मगर,अब सात से आठ हजार रेलकर्मी भी नहीं है।मगर,इन्जन बनाने का लक्ष्य यहाँ के रेल कर्मी आज भी उसी दक्षता के साथ पूरा कर रहे हैं।
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