(पारो शैवलिनी की रिपोर्ट) पश्चिम बंगाल के चित्तरंजन रेलनगरी में शुक्रवार की सुबह से ही रथपूजा की धूम देखने को मिली। माइक पर भोग की थाली चढ...
(पारो शैवलिनी की रिपोर्ट)
पश्चिम बंगाल के चित्तरंजन रेलनगरी में शुक्रवार की सुबह से ही रथपूजा की धूम देखने को मिली। माइक पर भोग की थाली चढ़ाने का आमंत्रण बार-बार दिया जा रहा था।
महिलायें सजधज कर पूजा की थाल लिये पूजा स्थल रेलनगरी के अमलादही एरिया-6 कम्युनिटी हाल में पूजा की थाल जमा कराकर कूपन संग्रह कर रहे थे।
पौराणिक कथा की माने तो कहा जाता है,एक बार बहन सुभ्रदा ने पुरी नगरी घुमने की इच्छा भगवान जगन्नाथ और भाई बलभ्रद से जाहिर की।
तत्पश्चात,तीनों तीन अलग-अलग रथ पर सवार होकर पुरी नगर भ्रमण के लिए निकल पड़े।इसके पूर्व सोने की झाडू से रास्ते को साफ किया गया। रास्ते में मौसी गुण्डिचा की मंदिर में तीनों जन आठ दिन वहाँ रूकने के बाद वापस पुरी के लिए रवाना हुए।
मान्यता अनुसार ठीक आठवें दिन रथ यात्रा की वापसी होगी,जिसे हम और आप उल्टा रथ यात्रा के नाम से जानते हैं।
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