हिमाचल के सिरमौर जिले से एक बार फिर शर्मसार कर देने वाली खबर सामने आई है। तहसील पच्छाद के सरसु (नारग) क्षेत्र के एक सरकारी स्कूल में पढ़ने...
हिमाचल के सिरमौर जिले से एक बार फिर शर्मसार कर देने वाली खबर सामने आई है। तहसील पच्छाद के सरसु (नारग) क्षेत्र के एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली 6 नाबालिग छात्राओं ने हिंदी विषय के शिक्षक धर्मेंद्र पर छेड़छाड़ और अश्लील हरकतों के गंभीर आरोप लगाए हैं।
छात्राओं ने गुरुवार को हिम्मत जुटाकर इस घटना की जानकारी स्कूल प्रबंधन को दी, जिसके बाद वे सराहां पुलिस थाना पहुंचीं और शिकायत दर्ज करवाई।
पुलिस पहुंची, लेकिन तब तक आरोपी मौके से फरार
शिकायत मिलते ही सराहां पुलिस की टीम तुरंत हरकत में आई और स्कूल पहुंची, लेकिन आरोपी शिक्षक तब तक फरार हो चुका था। जब पुलिस ने उसका मोबाइल ट्रेस करने का प्रयास किया तो फोन बंद पाया गया।
पुलिस ने पॉक्सो एक्ट और आईपीसी की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरू कर दी है। छात्राओं के बयान दर्ज कर लिए गए हैं और स्कूल प्रबंधन से भी गहन पूछताछ की जा रही है।
सिर्फ एक हफ्ते में दूसरा मामला
गौरतलब है कि इससे पहले राजगढ़ क्षेत्र के एक सरकारी स्कूल में भी गणित शिक्षक पर 24 छात्राओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। उस मामले में आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है और शिक्षा विभाग ने उसे निलंबित कर दिया है।
अभिभावकों में गुस्सा, शिक्षा विभाग पर सवाल
लगातार सामने आ रहे ऐसे मामलों ने सरकारी स्कूलों में छात्राओं की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय अभिभावकों में भय और आक्रोश का माहौल है। वे मांग कर रहे हैं कि शिक्षा विभाग ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई करे और दोषियों को कड़ी सजा दिलवाए।
एसपी ने दी जानकारी, गिरफ्तारी जल्द होने का दावा
एसपी सिरमौर निशचित सिंह नेगी ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि आरोपी शिक्षक की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम गठित कर दी गई है। “शिकायत मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई थी, लेकिन आरोपी फरार था। हमने पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है और उसकी लोकेशन ट्रेस करने का प्रयास किया जा रहा है,” उन्होंने कहा।
"स्कूलों को शिक्षा का मंदिर कहते हैं, लेकिन कुछ शिक्षक इसे कलंकित कर रहे हैं"
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस स्थान पर बच्चों को संस्कार और शिक्षा दी जानी चाहिए, वहां इस तरह की घटनाएं अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण हैं। यदि शिक्षा विभाग और पुलिस समय पर कठोर कदम नहीं उठाए, तो छात्राओं की सुरक्षा के प्रति भरोसा टूटता चला जाएगा।
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